जलियांवाला बाग पहुंचे ब्रिटिश बिशप, दंडवत होकर बोले, शर्मिंदा हूं

 
नई दिल्ली 

जलियांवाला बाग नरसंहार के 100 साल के बाद ब्रिटेन के एक बिशप जलियांवाला बाग मेमोरियल पहुंचे और अंग्रेजों के इस घृणित काम के लिए माफी मांगी. अमृतसर पहुंचे कैंटरबरी के ऑर्कबिशप जस्टिन वेल्बे ने कहा कि वे 1919 में हुए इस अपराध के लिए माफी मांगी और कहा कि वे इस घटना के लिए बेहद शर्मिंदा हैं.

जलियांवाला बाग मेमोरियल में जस्टिन वेल्बे शहीदस्थल पर दंडवत होने से पहले उन्होंने प्रार्थना की और क्षमाचायना की. शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए वेल्बे ने कहा, "मैं ब्रिटिश सरकार के लिए कुछ नहीं कह सकता हूं , मैं सरकारी अधिकारी नहीं हूं, लेकिन मैं जीजस क्राइस्ट के नाम पर बोल सकता हूं, ये पाप और उद्धार की जगह है, आप जानते हैं उन्होंने क्या किया है और ये यादें हमेशा रहेंगी." जस्टिन वेल्बे ने कहा कि जो अपराध यहां पर हुआ है उसके लिए वे दुखी है और माफी मांगते हैं उन्होंने कहा कि एक धार्मिक नेता होने के नाते में उस घटना पर दुख जताता हूं,

जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल 1919 को ब्रिटिश अधिकारी जनरल डायर ने निहत्थे भारतीयों पर गोलियां चलाई थी. इस नरसंहार में लगभग 1500 लोग मारे गए थे. ये लोग स्वतंत्रता सेनानी सत्य पाल और सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी का विरोध करने इकट्ठा हुए थे. जस्टिन वेल्बे ने कहा, "यहां पर मैं पश्चाताप करने आया हूं उनके लिए जिन्होंने अंग्रेजों की गोलियां खाई है, एक बार मैं फिर से कहता हूं कि मैं सरकार के लिए नहीं बोल सकता हूं लेकिन मैं अपनी बातें ग्लानि के साथ कह रहा हूं."

बता दें कि इस घटना के 100 साल गुजर जाने के बाद भी ब्रिटेन की सरकार ने पूर्ण रूप से माफी नहीं मांगी है. हालांकि इसी साल पूर्व ब्रिटिश पीएम थेरेसा मे ने कहा था कि ये घटना ब्रिटेन-भारत के इतिहास पर एक शर्मनाक धब्बा है.

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