जम्मू और कश्मीर के लिए ‘हिल UT’ की नई कैटिगरी बनाएगी मोदी सरकार

 नई दिल्ली 
मोदी सरकार नवनिर्मित केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के लिए सरकारी स्कीमों में केंद्र का हिस्सा बढ़ाने के लिए 'हिल यूनियन टेरिटरी' की नई कैटिगरी बनाने पर विचार कर रही है। इससे उसे राज्य में केंद्र की अहम योजनाओं की प्रगति को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। पहाड़ी राज्य जम्मू और कश्मीर को अब तक 90:10 के अनुपात में केंद्रीय सहायता मिलती रही थी। इसमें 10% का योगदान राज्य सरकार अपने संसाधनों से करती थी और बाकी केंद्र सरकार से मिलता था। मौजूदा नियमों के मुताबिक, विधानसभा वाले केंद्रशासित प्रदेशों को केंद्रीय योजनाओं के लिए फंड 40:60 के अनुपात में मिलता है, जबकि बिना विधानसभा वाले केंद्रशासित प्रदेशों को पूरी रकम केंद्र से मिलती है। 

केंद्रीय योजनाओं के मामले में लद्दाख की स्थिति तो स्पष्ट है, लेकिन जम्मू और कश्मीर के नए दर्जे को लेकर सरकारी महकमों में उलझन बनी है। नए दर्जे के चलते जम्मू और कश्मीर को केंद्र सरकार की योजनाओं के लिए मिलने वाली सहायता में कमी आएगी। ऐसे में केंद्र सरकार राज्यों के लिए 'पर्वतीय केंद्रशासित प्रदेश' की नई कैटिगरी बनाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इससे राज्य में चलने वाली केंद्रीय योजनाओं के लिए पूरा या पुरानी योजना के हिसाब से कम-से-कम 90% संसाधन केंद्र सरकार की तरफ से मुहैया कराया जा सकेगा। 

हमारे सहयोगी अखबार ET से एक सीनियर अफसर ने कहा, 'नए बने केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में तो कोई दिक्कत नहीं है लेकिन जेएंडके के केंद्रशासित प्रदेश को मिलने वाले फंड में केंद्र का हिस्सा घट जाएगा। जम्मू-कश्मीर को 90:10 के अनुपात में फंड मिलता रहे, इसके लिए उसे 'पर्वतीय केंद्रशासित प्रदेश' का विशेष दर्जा दिया जा सकता है। यह काम कैसे किया जाएगा, इसको लेकर मंत्रालयों में बड़ी दुविधा है।' यह योजना जम्मू और कश्मीर में विकास कार्यों को बढ़ावा देने और आमदनी का प्रवाह बढ़ाने की केंद्र सरकार की कोशिशों का हिस्सा है। 

जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 83 (1) कहती है, 'राष्ट्रपति 15वें वित्त आयोग से उसके टर्म ऑफ रेफरेंस में जम्मू और कश्मीर के केंद्रशासित प्रदेश को शामिल करने और उत्तरवर्ती जम्मू और कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश को फंड में उसका हिस्सा देने की संस्तुति करेंगे।' इससे जम्मू और कश्मीर, दिल्ली सहित दूसरे केंद्रशासित प्रदेशों से ऊपर हो गया है। दिल्ली सरकार केंद्र से कई बार अतिरिक्त रकम की मांग कर चुकी है, लेकिन उसे कुछ नहीं मिला है। वह केंद्रीय योजनाओं के लिए अरसे से 60% के बजाय 100% फंड की मांग करती रही है। 

सरकारी अधिकारियों ने ET को बताया कि यह कदम जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश को लेकर उठाया जाने वाला अहम है क्योंकि मोदी सरकार दो नए केंद्रशासित प्रदेशों में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण), PM उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत और PM किसान निधि जैसी महत्वपूर्ण केंद्रीय योजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाना चाहती है। 
 

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