जनविरोधी नीतियों के खिलाफ वामपंथी करेंगे विरोध

रायपुर
नए साल की शुरूआत में ही वामपंथी पार्टियों ने मोदी सरकार के खिलाफ अपने तीखे तेवरों का इजहार करते हुए सप्ताहव्यापी विरोध कार्यक्रमों को आयोजित करने की घोषणा कर दी है। ये कार्यवाहियां नागरिकता कानून, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और नागरिक रजिस्टर (एनआरपी-एनआरसी) बनाने आदि के जरिये देश के लोगों की नागरिकता पर प्रश्नचिन्ह लगाने और संविधान के बुनियादी धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर हमले करने के खिलाफ और इस मुद्दे पर हो रहे आंदोलनों पर दमन के खिलाफ, मंदी के कारण आम जनता की बढ़ती मुश्किलों से निपटने में नाकामी के खिलाफ और विभिन्न मजदूरों-किसानों-सामाजिक संगठनों द्वारा 8 जनवरी को आहूत देशव्यापी मजदूर हड़ताल और ग्रामीण भारत बंद के साथ एकजुटता दिखाने के लिए आयोजित की जाएंगी। इसके पालन में छत्तीसगढ़ में भी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भाकपा और भाकपा (माले)-लिबरेशन द्वारा विभिन्न जिलों में संयुक्त रूप से अभियान चलाया जाएगा और धरना-प्रदर्शन, पुतला दहन, सभाओं के जरिये शांतिपूर्ण विरोध कार्यवाहियां की जाएंगी।

आज जारी एक बयान में माकपा के संजय पराते, भाकपा के आरडीसीपी राव तथा भाकपा (माले) के बृजेन्द्र तिवारी ने आरोप लगाया कि केंद्र की संघ संचालित भाजपा सरकार हमारे देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लक्ष्य के साथ आम जनता की नागरिकता को धार्मिक पहचान देना चाहती है और इस उद्देश्य से नागरिकता रजिस्टर तैयार करने के पहले चरण के रूप में जनसंख्या रजिस्टर तैयार करना चाहती है, जो देश के संविधान द्वारा स्थापित धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि धार्मिक पहचान को नागरिकता का आधार बनाने से देश का बहुलतावादी चरित्र ही नष्ट हो जाएगा। उन्होंने कहा कि घुसपैठियों की पहचान के नाम पर देश के 130 करोड़ लोगों की नागरिकता पर प्रश्नचिन्ह लगाना और उनसे नागरिकता सिद्ध करने के लिए जन्म प्रमाणपत्र को एकमात्र सबूत के तौर पर मांगना सबसे बड़ा देशद्रोह है और ऐसी देशद्रोही सरकार को एक मिनट भी सत्ता में बने रहने का हक नहीं है।

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