छेड़खानी का विरोध किया, तो डिलिवरी एजेंट ने ‘राजद्रोह’ के केस में फंसाया!

 बेंगलुरु 
पुलवामा हमले के बाद ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जहां भारत-पाकिस्तान के नाम पर देश के कई हिस्सों में हिंसा और मारपीट तक की नौबत आ गई हो। ऐसा ही कुछ बेंगलुरु के एक बार में हुआ जहां तीन लड़के और तीन लड़कियां शुक्रवार शाम अपना वीकेंड एन्जॉय करने आते हैं। उनकी टेबल के सामने बैठे कुछ डिलिवरी एजेंट ग्रुप की लड़कियों को परेशान करने लगते हैं। जिसके बाद वहां मारपीट जैसे हालात बन जाते हैं। कुछ देर बाद इनमें से एक जोमैटो डिलिवरी एजेंट पुत्तेनहल्ली पुलिस स्टेशन पहुंचता है और आरोप लगाता है कि ये सभी 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगा रहे थे। इसके बाद पुलिस तीनों लड़कों के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज कर लेती है। जोमैटो के डिलिवरी एजेंट रफीक ने अपनी शिकायत में कहा है कि तीनों युवक शहर के एक नामी कॉलेज में पढ़ते हैं और शुक्रवार शाम बेंगलुरु के जेपी नगर में एक बार के सामने बवाल कर रहे थे। रफीक ने अपनी शिकायत में कहा, '22 फरवरी को ये तीनों बार के सामने आए और अपने हाथ उठाकर लगातार पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे। इससे वहां खड़े लोगों की भावनाएं आहत हुईं।' 

तीनों युवकों के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज 
तीनों युवकों के खिलाफ आईपीसी 124ए, 153 और 34 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। हालांकि रफीक की शिकायत के 45 मिनट बाद ही आरोपी युवकों ने काउंटर एफआईआर दर्ज कराई है। एक युवक ने हमारे सहयोगी बेंगलुरु मिरर को बताया, 'हम बार में बैठे थे और बात कर रहे थे। उसी बीच राजनीति की बातें भी होने लगीं। मैं पाकिस्तान को गालियां देने लगा। मेरी बातें सुनकर पास में बैठे कुछ लोग बदतमीजी करने लगे और मारपीट पर उतर आए। हम बार से बाहर आए तो रफीक ने कुछ और डिलिवरी एजेंट्स को बुला लिया। वह लोगों को गुमराह कर रहा था कि हम पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी कर रहे थे।' 

युवक की शिकायत पर रफीक के खिलाफ भी दर्ज हुआ केस 
युवक की शिकायत पर पुलिस ने रफीक और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी 143, 144, 147, 148, 504, 341, 323, 324, 506, 149 के तहत केस दर्ज किया है। युवक ने बताया कि रफीक जानबूझकर गलतबयानी कर रहा था। उसने किसी को फोन पर भी बोला था, 'ये लोग पाकिस्तान को गालियां दे रहे थे, मैंने ठीक कर दिया है इन्हें।' 

डीसीपी ने पुलिसकर्मियों को फटकारा, बंद कराईं दोनों शिकायतें 
डीसीपी साउथ के अन्नामलाई ने कहा, 'मैंने एफआईआर और शिकायतकर्ता की जांच की है। स्टूडेंट्स के खिलाफ जो एफआईआर फाइल की गई है वह गलत है। उन्हें इन पर 124ए (राजद्रोह की धारा) नहीं लगानी चाहिए थी। मैंने जिम्मेदार पुलिसकर्मियों को फटकार लगाई है और दोनों शिकायतों को बंद करने के लिए कहा है। हम जोमैटो से भी बात कर रहे हैं।' डीसीपी के दखल से स्टूडेंट्स को काफी राहत मिली है। अगर वह समय रहते दखल ना देते तो इन युवकों को अपने पासपोर्ट जमा करने पड़ते, सरकारी नौकरी की संभावनाओं से हाथ धोना पड़ता और खुद को निर्दोष साबित करने के लिए कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते। 
 

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