छत्तीसगढ़ में नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी पर काम शुरू, बदली गांव की सूरत

रायपुर 
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लागू की गई चार चिन्हारी नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी योजना ग्रामीणों के लिए अब गांव एवं ग्रामीणों की तस्वीर और तकदीर बदलती दिख रही है. गांवों में ‘नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी‘ के संरक्षण-संवर्धन के कार्यों ने अब मूर्त रूप लेना शुरू कर दिया है. इसी क्रम में मुंगेली जिले के छोटे से आश्रित गांव लोहदा पांच एकड़ के पुराने गौठान को ‘गरूवा’ कार्यक्रम के तहत नए ढंग से विकसित किया गया है.

लोहदा के गांव में नए ढंग से विकसित किए गए गौठान में करीब पांच सौ गौवंशीय और भैंसवंशीय मवेशी रोज आ रहे हैं. साथ ही पशुओं के ‘डे-केयर सेंटर’ के रूप में यहां तमाम व्यवस्थाएं तैयार कर ली गई हैं.गौठान में फेंसिंग, चारा, पानी, पशुओं के आराम करने की जगह और छाया के इंतजाम के साथ-साथ पशुओं के टीकाकरण और साथ ही स्वास्थ्य की विशेष देखभाल भी की जाती है. वहीं पशुओं के गोबर और चारे के अवशेष से कम्पोस्ट खाद बनाने का काम भी गौठान में किया जा रहा है.

गोठान में जल की सुविधा के लिए सोलर पंप लगाया गया है. बता दें कि गांव के तीन चरवाहे इस गौठान की व्यवस्था को संभाल रहे हैं. वहीं गौठान के पास ही 12 एकड़ में चारागाह विकास का काम भी जल्द ही शुरू हो जाएगा.जलापूर्ति के लिए गोठान में सोलर पंप लगाया गया है. वर्तमान में गांव के तीन चरवाहे इस गौठान की व्यवस्था संभाल रहे हैं. इस गौठान के नजदीक ही 12 एकड़ में चारागाह विकास का काम भी जल्द ही शुरू हो गया है.

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