छत्तीसगढ़ी व्यंजनों से तैयार की गणेश जी की मूर्तियां, विसर्जन के बाद आएंगी इस काम

रायपुर
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में राजधानी रायपुर (Raipur) सहित पूरे प्रदेश में गणेशोत्सव (Ganeshotsav) की धूम शुरू हो गई है. इसके तहत पंडालों में एक से बढ़कर एक मूर्तियां (Sculptures) विराजित की गई हैं. हम आपको गणपति बप्पा की ऐसी अनोखी मूर्तियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे रायपुर के एक परिवार ने खास तरह से तैयार किया है. नड्डा, दाल, सुपारी और नारियल जैसी चीजों का इस्तेमाल कर बप्पा की ये खूबसूरत मूर्तियां तैयार की गयी हैं, जो ईको फ्रैंडली तो हैं ही साथ ही दिखने में इतनी आकर्षक की देखने वाले की नज़र मूर्तियों पर ही टीक जाय.

रायपुर (Raipur) के महादेव घाट स्थित बांस टाल में रहने वाले शिवचरण यादव के परिवार ने इन मूर्तियों को तैयार किया है. यादव परिवार पिछले कई सालों से इकोफ्रैंडली गणेश की मूर्तियां तैयार करते आ रहे हैं. इसके तहत ही इस बार शिप, कौडी, शंख, बटन, जली हुई अगरबत्ती, सुपारी, चंदन की लड़की, जड़ी बूटियों और चांवल-दाल से बप्पा की मूर्ति तैयार की गयी है. पिछले तीन महीने से ये ईको फ्रैंडली मूर्तियां तैयार करने के लिए पूरा परिवार शिद्दत से जुटा हुआ है.

मूर्तिकार राशि यादव व राहुल यादव बताते हैं कि इन मूर्तियों की ख़ास बात ये होती है कि इसे बनाने में मिट्टी की जगह पूराने अख़बारों की लूग्दी का उपयोग किया जाता है. साथ ही किसी भी तरह के केमिकल युक्त रंगों का इस्तेमाल इनकी बनायी मूर्तियों में नहीं होता. शिवचरण यादव का कहना है कि वे खाद्य पदार्थों से ही ज्यादातर मूर्तियां तैयार करते हैं ताकी विसर्जन के बाद जलीय जीव उसे खा सकें.

यादव परिवार द्वारा कई मूर्तियां छत्तीसगढ़ी व्यंजनों से तैयार की गई हैं. इनमें सेव-नड्डा और ठेठरी-खुरमी जैसे पारम्परिक छत्तीसगढ़ी व्यंजनों से बप्पा की मूर्ति तैयार की गई है. यादव परिवार की कोशिश है कि ईको फ्रैंडली मूर्तियां ही स्थापित हो ताकी पर्व का उल्लास बना रहे और प्रकृति को इससे नुकसान भी ना हो.

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