चीन से लगी सीमा तक कनेक्टिविटी का काम समय पर चाहती है आर्मी

नई दिल्ली
भारतीय सेना के शीर्ष अधिकारी चीन से लगी सीमाओं पर हर मौसम के अनुकूल कनेक्टिविटी के समय पर विकास किए जाने पर एक बार फिर जोर दे रहे हैं। इसके तहत सड़क, सुरंग और भूमिगत शेल्टर्स बनाए जा रहे हैं जिससे सैनिकों और लॉजिस्टिक्स की तेज आवाजाही के साथ ही युद्ध के सामानों, मिसाइलों और अन्य हथियारों का भंडारण सुनिश्चित किया जा सके।

सूत्रों ने बताया कि जनरल बिपिन रावत की अध्यक्षता में एक सप्ताह चले आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस के शनिवार को हुए समापन में जिन बातों पर सबसे ज्यादा जोर दिया गया उनमें चीन से लगी उत्तरी सीमा पर आधारभूत संरचनाओं के विकास में तेजी की तत्काल जरूरत भी शामिल थी। एक सूत्र ने बताया, 'हालात भले ही कुछ सालों में सुधर गए हों, लेकिन अभी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। यह फैसला किया गया कि एलएसी से लगे आधारभूत परियोजनाओं को शीर्ष प्राथमिकता देनी होगी।'

आर्मी जनरलों के बीच हर मौसम में अनुकूल पूरे दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड को तेजी से पूरा किए जाने पर चर्चा हुई। पूर्वी लद्दाख में एलएसी के समानांतर होने के कारण यह रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। 225 किलोमीटर का यह रास्ता सितंबर 2001 में अपनी शुरुआत से ही पुनर्निर्धारण, खराब निर्माण और अन्य समस्याओं से जूझ रहा है। इसी तरह सिक्किम और लद्दाख में कुछ पुलों को मजबूत किए जाने की जरूरत है ताकि टैंक और तोपों की सही आवाजाही हो सके। एफओएल (फ्यूल, ऑयल, लुब्रिकैंट) और युद्ध सामग्री के काफिले की आवाजाही के लिए सुरंग का निर्माण अजेंडे में शामिल है।'

भारत धीरे-धीरे एलएसी पर अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है जिसके लिए अरुणाचल प्रदेश में अतिरिक्त सैनिकों, सुपरसॉनिक ब्रहोस क्रुज मिसाइलों और बोफोर्स हॉवित्जर, पूर्वी लद्धाख व सिक्किम में टी-72 टैंक और उत्तर-पूर्व में सुखोई-30एमकेआई फाइटर, ड्रोन और आकाश मिसाइल को तैनात किया जा रहा है , जैसा कि हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया ने रिपोर्ट दी थी। इसके अतिरिक्त 36 नए राफेल जेट में से 18 जेट का बेस पूर्वी फ्रंट के लिए हसिमारा (पश्चिम बंगाल) में होगा। जबकि पहला बेस पश्चिमी फ्रंट के लिए अंबाला (हरियाणा) बनेगा। सभी 36 राफेल जेटों की डिलिवरी नवंबर 2019 से अप्रैल 2022 के बीच हो जाएगी।

हालांकि, भारतीय सैनिकों को सीमावर्ती इलाकों में जाने के लिए जरूरी कनेक्टिविटी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। उदाहरण के लिए आर्मी फिलहाल दो मुख्य परियोजनाओं में से एक हिमाचल प्रदेश में रोहतांग सुरंग के साल के अंत में और अरुणाचल प्रदेश के से ला सुरंग के 2022-23 में पूरा होने का इंतजार कर रही है। लेकिन जम्मू-कश्मीर, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में प्रस्तावित दर्जनों सुरंग पर काम में शुरुआती चरण के बाद से कोई तेजी नहीं आई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *