चीन बॉर्डर पर माउंटेन स्‍ट्राइक कोर की जगह तैनात होगा मारक इंटिग्रेटेड बैटल ग्रुप

 
नई दिल्ली 

चीन बॉर्डर पर आर्मी को और मजबूत करने के लिए आर्मी की एक नई कोर, माउंटेन स्ट्राइक कोर बनाने की प्लानिंग थी। यूपीए सरकार के समय की यह प्लानिंग अब बदल दी गई है। आर्मी ने तय किया है कि अब माउंटेन स्ट्राइक कोर की जगह पर इंटिग्रेटेड बैटल ग्रुप (आईबीजी) यानी एकीकृत युद्ध ग्रुप बनाया जाएगा, जो ज्यादा मारक होगा और उसका ढांचा टास्क और भौगोलिक परिस्थिति के हिसाब से होगा। 

आर्मी के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि वक्त के साथ परिस्थितियां बदली हैं और युद्ध का तरीका भी। अब हथियार सिस्टम ज्यादा घातक हो गए हैं और ज्यादा तकनीक आ गई हैं। युद्ध के मैदान की ट्रांसपेरेंसी भी बढ़ी है इसलिए अब दुश्मन को एक साथ बड़ा टारगेट देने का रिस्क नहीं लिया जा सकता। अब छोटे साइज की फॉर्मेशन ज्यादा सही रणनीति है। 
 
स्ट्राइक कोर की जगह इंटिग्रेटेड बैटल ग्रुप 
छोटा फॉर्मेशन होने पर वह जल्दी छुप सकता है और कम से कम नुकसान होगा। इसलिए अब स्ट्राइक कोर की जगह पर भी इंटिग्रेटेड बैटल ग्रुप (आईबीजी) बनाया जाएगा। जहां माउंटेन स्ट्राइक कोर में करीब 90 हजार जवान रखने की प्लानिंग की गई थी अब वहीं इंटिग्रेटेड बैटल ग्रुप छोटे और मारक होंगे। आर्मी के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक आईबीजी का साइज करीब दो ब्रिगेड के बराबर होगा। 

अलग-अलग फील्‍ड के माहिर जवान 
आईबीजी बनाने का कदम युद्ध लड़ने की मशीनरी को मजबूत और मारक बनाने वाला आजादी के बाद पहली बार उठाया गया कदम है। आईबीजी में अलग-अलग फील्ड के माहिर जवान होंगे। इसमें पैदल सैनिक, टैंक, तोप, इंजीनियर्स, लॉजिस्टिक, सपोर्ट यूनिट सहित वह सभी फील्ड के सैनिक एक साथ होंगे जो किसी भी युद्ध के लिए जरूरी हैं। अब तक यह सब अलग अलग यूनिट के तौर पर तैनात हैं और युद्ध के वक्त एक साथ आते हैं। 

आईबीजी में यह सब शांति काल में भी साथ रहेंगे और साथ ही युद्ध का अभ्यास भी करेंगे। आर्मी के सीनियर अधिकारी के मुताबिक आईबीजी का अलग अलग ढांचा होगा। यह वहां की भौगोलिक परिस्थिति और टास्क को ध्यान में रखकर होगा। जैसे जहां रोड हैं वहां कंस्ट्रक्शन की जरूरत कम है तो वहां का ढांचा अलग होगा, रेगिस्तान में जहां रोड भी बनानी हैं वहां का ढांचा अलग। 

चीन और पाकिस्तान बॉर्डर पर तीन आईबीजी 
फिलहाल चीन और पाकिस्तान बॉर्डर पर तीन आईबीजी बननी हैं जिसमें पहली आईबीजी का ढांचा फाइनल कर सरकार के पास भेजा गया है। अप्रूवल मिलने के बाद भी आईबीजी पूरी तरह तैयार होने में 1-2 साल का वक्त लग सकता है। आर्मी के अधिकारी के मुताबिक जिन जिन यूनिट को आईबीजी में शिफ्ट करना होगा उन्हें धीरे धीरे शिफ्ट किया जाएगा, वह अभी जहां हैं उन्हें वहां का कार्यकाल पूरा करने दिया जाएगा। क्योंकि एक साथ ज्यादा मूवमेंट हम नहीं चाहते। 
 

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