चीन को असम देने के लिए राजी हो गए थे नेहरू: जनरल वीके सिंह

नई दिल्ली
भारत-चीन के बीच 5 मई के बाद से अब तक तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है। 15 जून को दोनों देशों के जवानों के बीच खूनी संघर्ष हो गया। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए। पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने दावा किया है कि भारतीय जवानों ने चीन के 40 सैनिकों को मारा है। केंद्रीय मंत्री सिंह ने भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को विस्तार से समझाया। वीके सिंह ने नमो ऐप के जरिए भारत-चीन के हर पहलू पर विस्तार से जानकारी दी।

चीन ने कैसे किया तिब्बत पर कब्जा?
वीके सिंह ने बताया कि भारत-चीन का मसला आजादी के बाद से ही चला आ रहा है। आजादी के बाद भारत अपनी स्थिति-परिस्थितयों से निपट रहा था वहीं चीन घात लगाए बैठा था कि कब वो भारत की सीमा पर कब्जा करे। उन्होंने कहा, 'भारत की जो सीमाएं थीं वो अंग्रेजों ने तय की थी। उन्होंने जो संधियां की थीं उसी के मुताबिक हमारी सीमाएं बंटी हुई थीं। जिस वक्त भारत अपनी स्थिति बेहतर करने में जुटा था तभी चीन ने 50 के दशक में तिब्बत पर कब्जा कर लिया। नेहरू जी ने जवानों से पीछे आने के लिए कह दिया। इससे पहले ल्हासा के अंदर भारतीय सेना की एक टुकड़ी तैनात होती थी। भूटान के अंदर भी भारतीय जवानों की एक टुकड़ी तैनात रहती थी।'

अक्साई चिन को कब्जा करने के बीच चीन की चाल
सिंह ने बताया, 'भूटान,लातुंग, सिक्किम ये रास्ता हुआ करता था। चीन ने जब वहां पर कब्जा करना चाहा था तो नेहरू जी ने कहा कि सेना को पीछे ले आओ। तभी दलाई लामा आ गए और चीनियों ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया। इसी तरह चीन ने सिक्यांग पर भी कब्जा कर लिया। अब चीन के लिए समस्या थी कि वो तिब्बत और सिक्यांग को कैसे जोड़े क्योंकि उन दोनों के बीच भारत का हिस्सा पड़ता था। जब चीन ने देखा कि भारत का तो कोई आता ही नहीं है इस इलाके में तो उन्होंने रोड बनाना शुरू किया। वहां पर रोड बनाना बहुत आसान हैं क्योंकि वहां पठार है। चीन ने सिक्यांग और तिब्बत को जोड़ने के लिए अक्साई चिन के बीच से एक रोड बना दी। इस तरह उसने दोनों को जोड़ दिया।'

उन्होंने कहा कि इसके बाद भारत को पता चला तो भारत ने विरोध किया। चीन ने कहा कि वो तो उसका इलाका है। इसके बाद 1959 में चीन के राष्ट्राध्यक्ष भारत आए और उन्होंने नेहरू जी से मिलकर हिंदी-चीनी, भाई-भाई का नारा दिया। उसके बाद उन्होंने नेहरू जी को एक छोटे सा कागज का टुकड़ा दिया और कहा कि ये रहा नक्शा और बीच में एक रेखा खींच दी, जोकि कहीं से स्पष्ट नहीं थी। चीन लद्दाख के काराकोरम पर्वत को भी अपने हिस्से में बता रहा था जोकि भारत के बहुत अंदर था। इन्हीं सब बातों को लेकर 1962 का युद्ध हुआ था।

असम तक देने को राजी हो गए थे नेहरू
वीके सिंह ने भारत-चीन तनाव के हर विषय के बारे में जानकारी देते हुए दावा किया कि 1962 में नेहरू जी ने युद्ध के बाद कहा कि असम को खाली कर दो। लेकिन चीन असम तक नहीं घुस पाया। 1962 युद्ध की एक खास बात ये थी कि जहां-जहां पर भारतीय जवान रहे वहां पर चीन कब्जा नहीं कर पाया था। अगर उस दिन भी हमारे फौजी वहां सख्ती से नहीं डटे रहते तो नेहरू जी ने असम को खाली करने के लिए कही दिया था।

उन्होंने कहा कि चीन फिर सीजफायर करता है, मैकमोहन रेखा के पास चला गया क्योंकि यहां पर उसका कोई क्लेम नहीं था। लेकिन लद्दाख के अंदर उसने अक्साई चिन पर कब्जा कर लिया था क्योंकि सिक्यांग और तिब्बत का बहुत महत्वपूर्ण वो लिंक था वो उसको नहीं छोड़ सकता था।

 

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