चार दिवसीय संयुक्त सैन्य अभ्यास की शुरुआत

ईरान
चीन और रूस ने शुक्रवार को हिंद महासागर और ओमान की खाड़ी में चार दिवसीय संयुक्त सैन्य अभ्यास की शुरुआत की. इसकी जानकारी ईरान के संयुक्त सैन्य अभ्यास के कमांडर ने दी. ईरान के साथ चीन और रूस का यह सैन्य अभ्यास ऐसे समय पर हो रहा है, जब अमेरिका का ईरान से संबंध बुरे दौर से गुजर रहा है.

बता दें कि अमेरिका ने पिछले साल मई में ईरान के साथ 2015 में हुए समझौते से खुद को अलग कर लिया था. परमाणु समझौते से पीछ हटने के बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है.

इस संयुक्त नौसैन्य अभ्यास के वरिष्ठ सैन्य कमांडर गुलाम रजा तहानी ने कहा कि इस अभ्यास का मकसद सहयोग और एकता से शांति, दोस्ती और स्थायी सुरक्षा स्थापित करना है और इसका प्रभाव यह दिखाना होगा कि ईरान को अलग-थलग नहीं किया सकता. उन्होंने कहा कि इस सैन्य अभ्यास का अर्थ यह है कि ईरान, रूस और चीन की दोस्ती नए मुकाम पर पहुंच चुकी है.

तहानी ने आगे कहा कि इस नौसैन्य अभ्यास का मकसद सुरक्षा को मजबूत करना, समुद्री व्यापार को मजबूत करना और समुद्री डाकुओं व आतंकवाद का मुकाबला करने के साथ जानकारी और अनुभव साझा करना है.

उन्होंने कहा कि 17 हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में यह सैन्य अभ्यास हो रहा है जो ईरान की चाबहार बंदरगाह से शुरू होकर हिंद महासागर के उत्तर तक जारी रहेगा.

वहीं, इस अभ्यास से तीनों देशों की शक्ति का नया त्रिकोण समुद्र में दिखाता नजर आ रहा है. कमांडर तहानी ने कहा कि इसकी मेजबानी कर पता चलता है कि इन देशों के साथ हमारे संबंध सार्थक बिंद पर पहुंच गए हैं और इसका अंतरराष्ट्रीय प्रभाव भी पड़ सकता है.

बता दें कि अमेरिका ने पिछले साल खुद को परमाण समझौते से अलग करने बाद तेहरान पर से हटाए गए प्रतिबंधों को फिर से लागू करने की चेतावनी दी थी. वहीं, ईरान के साथ इस परमाण समझौते में ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी के अलावा चीन और रूस भी शामिल है.

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