चयनित असिस्टेंट प्रोफेसरों ने विरोध जताकर किया संविधान पाठ, निकाला कैंडल मार्च 

भोपाल 
मप्र लोक सेवा आयोग (एमपी पीएससी) की पात्रता परीक्षा को पास कर चयनित हुए असिस्टेंट प्रोफेसरों की नौ माह बाद भी नियुक्ति नहीं हुई है। इसे लेकर रविवार को प्रदेश भर के चयनित असिस्टेंट प्रोफेसरों ने राजधानी के शाहजहांनी पार्क में एकत्र होकर संविधान पाठ किया। शाम को कैंडल मार्च निकालकर विरोध दर्ज कराया। इस दौरान उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी के प्रतिनिधि के रूप में विधि मंत्री पीसी शर्मा ने ज्ञापन लेकर आश्वासन दिया कि शीघ्र ही हाईकोर्ट में जवाब प्रस्तुत कर नियुक्ति की जाएगी। अतिथि विद्वानों के संगठन राष्ट्रीय जांच अधिकारी मंत्र ने प्रेस वार्ता के माध्यम से चयन प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया है।

चयनित सहायक प्राध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. प्रकाश खातरकर ने कहा कि एमपीपीएससी द्वारा आयोजित की गई सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा-2017 में दो हजार 536 अभ्यर्थी चयनित हुए हैं, जिसमें 535 अजा, 439 अजजा, 863 अपिव शामिल हैं। उनमें एक हजार 146 अतिथि विद्वान चयनित हुए हैं। प्रदेश से दो हजार 271 आवेदकों का चयन हुआ है। अभी तक उच्च शिक्षा विभाग ने चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति नहीं की है। प्रदेश में पिछले 27 वर्षों से उच्च शिक्षा विभाग में नियुक्तियां नहीं हुई। इसके चलते सरकारी कालेजों की हालत चरमरा गई है। 

हाईकोर्ट में जवाब प्रस्तुत करे सरकार 
आंदोलनकारी चयनित असिस्टेंट प्रोफेसरों ने विधि मंत्री पीसी शर्मा को ज्ञापन सौंपकर विभाग के माध्यम से उचित व समय पर न्यायालय को जवाब दावा प्रस्तुत करने की मांग कर रहे हैं, ताकि उन्हें जल्द नियुक्ति मिल सके। शर्मा ने आश्वासन दिया किए हाईकोर्ट में लगी याचिकाओं में जो भी जवाब मांगा गया है। सरकार जल्द ही जवाब प्रस्तुत कर चयनित असिस्टेंट प्रोफेसरों को कॉलेजों में नियुक्ति देगी। खातरकर ने आरोप लगाया गया कि हाईकोर्ट में लगाई गई याचिकाओं में सरकार द्वारा समय से जवाब प्रस्तुत नहीं करने के कारण याचिकाकतार्ओं को स्टे मिल रहा है। हाईकोर्ट में चल रहे इस प्रकरण में शासन के उदासीन रवैए से चयनित दो 536 अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ साथ प्रदेश की उच्च शिक्षा की स्थिति भी गंभीर बनी हुई है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अभी राजधानी में सहायक प्राध्यापकों का सत्याग्रह हुआ है, अब इसे अब वे क्रमिक रूप से अलग-अलग संभागों, जिलों, शहर, गांव-गांव और घर-घर तक लेकर जाएंगे।

वादा खिलाफ कर रही सरकार 
राष्ट्रीय जांच अधिकार मंच के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र प्रताप सिंह ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा सहायक प्राध्यापकों, क्रीड़ाधिकारियों, ग्रंथपालों की भर्ती में विभिन्न स्तर पर अनगिनत अनियमितताएं की गई हैं।  उन्होंने बताया कि स्वयं मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी भर्ती में अनियमितता का विरोध कर जांच की मांग की थी। इस संबध में उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी को भी साक्ष्य दिए गए, लेकिन वह हाईकोर्ट के आदेश व मुख्यमंत्री के पत्र की अवहेलना कर बार-बार नियुक्ति का आश्वासन दे रहे हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। उक्त भर्ती प्रक्रिया में परीक्षा पूर्व एवं पश्चात लगभग 25 संसोधन चयन सूची बनने के बाद तक नियम विरुद्ध एवं अवैध लाभ के लिए किए गए। उन्होंने बताया कि उच्चतम न्यायालय द्वारा नियम विरुद्ध एवं अनियमित भर्तियों के जांच का निर्णय पारित किया गया है। इसलिए भर्तियों को निरस्त किया जाए। पूर्व सरकार द्वारा संवैधानिक प्रावधानों एवं विधिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया गया। इसलिए उक्त चयन सूची दूषित होने के कारण निरस्त कर नई प्रक्रिया अपनाई जाए। इस संबंध में भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता के राज्य सभा सांसद दिग्विजय सिंह काग्रेंस को साक्ष्य दिए गए।

चुनाव बाद से ही ट्वीटर पर आंदोलन शुरू हो गया था
दो हजार 536 चयनित सहायक प्राध्यापकों ने लोकसभा चुनाव समाप्त होते ही ट्वीटर पर सीएम कमलनाथ, उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी यहां तक कि राज्यपाल महोदय तक को टैग करके रिमाइंडर शुरू कर दिया था। जब सरकार की तरफ से कोई संतोषजनक बयान नहीं आए तो भोपाल में प्रदर्शन कर निर्णय लिया गया। शाम 5 बजे कैंडिल मार्च भी निकाला गया। इस दौरान पीएससी चयनित सहायक प्राध्यपक संघ के प्रदेशाध्यक्ष प्रकाश खातरकर, मीडिया प्रभारी नीरज मालवीय, मांगीराम चौहान सहित बड़ी संख्या में संगठन से जुड़े सदस्य मौजूद थे। 

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