चंद्रयान-2: लांचिंग से लेकर लैंडिंग तक, जानिए हर पहलू

 
श्रीहरिकोटा 

चंद्रमा पर यान भेजने का भारतीय अभियान अब अपने दूसरे पड़ाव पर है. श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-2 के लिए 20 घंटे का काउंटडाउन सुबह शुरू होगा, जिसे 15 जुलाई को लांच किया जाना है. चंद्रयान 2 को जीएसएलवी MK-3 लांच vehicle के जरिए अंतरिक्ष में छोड़ा जाएगा. यह भारत का पहला मून लैंडर और रोवर मिशन है.

जीएसएलवी रॉकेट से चंद्रयान-2 को धरती की कक्षा में लांच किया जाएगा. धरती की कक्षा में पहुंचने के बाद चंद्रयान-2 मिशन का इंटीग्रेटेड मॉड्यूल ऑर्बिटल प्रपल्शन मॉड्यूल का इस्तेमाल करके चंद्रमा की कक्षा में पहुंचेगा. वैज्ञानिकों के मुताबिक यह आसान काम नहीं है. धरती की कक्षा में स्थापित होने के बाद चंद्रयान-2 को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने में लगभग एक महीने का वक्त लगेगा. चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद चंद्रयान-2 को चंद्रमा की सतह पर उतारने की तैयारी शुरू कर दी जाएगी.

चंद्रयान-2 के आर्बिटल और लैंडर मॉड्यूल आपस में मेकैनिकली जुड़े होंगे और इन दोनों को इंटीग्रेटेड मॉड्यूल के तहत लांच रॉकेट के अंदर रखा जाएगा. रोवर मॉड्यूल लैंडर के अंदर होगा. चंद्रयान-2 के चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए लैंडर मॉड्यूल ऑर्बिटल से अलग हो जाएगा. लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास निर्धारित जगह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. इसरो ने इस लैंडिंग के लिए छह सितंबर की तारीख निर्धारित की है.

चंद्रमा की सतह का होगा अध्ययन

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रयान-2 के लैंडर मॉड्यूल की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इसमें मौजूद रोवर मॉड्यूल बाहर निकलेगा और चंद्रमा की सतह पर छानबीन शुरू कर देगा. यहां से आर्बिटर को तमाम सूचनाएं भेजी जाएंगी तरह-तरह के उपकरण लैंडर और आर्बिटर मॉड्यूल में लगाए गए हैं, जिससे चंद्रमा की सतह का सही से अध्ययन किया जा सके.

विक्रम साराभाई के नाम पर लैंडर मॉड्यूल का नाम

इसरो ने चंद्रमा की सतह पर उतरने वाले लैंडर मॉड्यूल का नाम अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के नाम पर विक्रम रखा है. जबकि रोवर मॉड्यूल का नाम प्रज्ञान रखा गया है. बता दें कि इसरो ने 22 अकटूबर 2008 को चंद्रयान-1 चंद्रमा पर भेजा था, जो 30 अगस्त 2009 तक चंद्रमा पर सक्रिय रहा था. पांच दिन में चंद्रमा पर पहुंचे चंद्रयान-1 को उसकी कक्षा में स्थापित करने में 15 दिन का समय लगा था.

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