घोषणापत्र से राष्ट्रवाद और कश्मीर पर फंसी कांग्रेस, क्या BJP को मिली फ्री हिट?

नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव 2019 में जीत के इरादे से उतर रही कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को अपना घोषणापत्र जारी किया. इस घोषणापत्र में कई वादे किए गए हैं, जो कि आने वाले दिनों में चुनावी मुद्दा बन सकता है. लेकिन इस पर कई तरह के सवाल भी खड़े हो रहे हैं. सवाल ये कि क्या कांग्रेस ने अपने चुनावी वादों को ही खुद के लिए ही चुनावी बम बना लिया है.

जिस तरह से कांग्रेस के घोषणा पत्र में देशद्रोह कानून खत्म करने, सेना और सुरक्षाबलों के विशेषाधिकार को कम करने के वादे किए गए हैं, उससे राहुल गांधी की टीम पर वो सवाल उठ गए हैं, जो उन्हें परेशान कर सकते हैं, नई मुसीबत में डाल सकते हैं.

राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा के जिस चुनावी एजेंडे की काट के लिए राहुल गांधी गरीबी हटाओ के नारे को फिर से निकाल कर लाए और जिसमें उन्होंने 72 हज़ार रुपये सालाना की इनकम गारंटी की बात कही, अब राहुल उसी पर बैकफुट पर हैं.

जिन पर है बवाल उन्हीं को कांग्रेस ने छुआ!

लेकिन इन वादों के बीच कांग्रेस का पूरा घोषणापत्र जब सामने आया, तो उसमें कुछ उन मुद्दों का ज़िक्र भी देखा गया जो मुद्दे काफी विवादित रहे हैं. और इन पर पिछले कुछ सालों में भी काफी चर्चा, बहस और राजनैतिक टकराव हुए हैं.

जैसे देशद्रोह के कानून का मामला, जिस पर जेएनयू में देशविरोधी नारों पर कार्रवाई के बाद बहुत हंगामा हो चुका है और सेना के विशेषाधिकार का मामला जो कश्मीर में आतंक के खिलाफ जंग में बहुत ज़रूरी बताया जाता है. इन दोनों मुद्दों पर कांग्रेस के घोषणापत्र के पेज नंबर 34 के वादा नंबर 30 में ज़िक्र है.

हमलावर हुई भाजपा

क्या कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में खुद के लिए ही चुनावी बारूद फिट कर लिया, ये सवाल इसलिए क्योंकि घोषणापत्र के वादा नंबर 30 में जो बातें कही गई हैं उसको लेकर बीजेपी ने चुनावी तोप निकालने में देर नहीं लगाई.

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इस मेनिफेस्टो में ऐसे एजेंडा हैं जो देश को तोड़ने का काम करते हैं, राष्ट्र की एकता के खिलाफ जाते हैं. जो कांग्रेस पार्टी विशेष रूप से गांधी-नेहरू परिवार की ऐतिहासिक भूल थी, जम्मू-कश्मीर के संबंध में जिसके लिए देश कभी माफ नहीं कर सकता, उस एजेंडा को और आगे खतरनाक तरीके से आगे बढ़ाने का काम कर रही है.

राहुल गांधी के लिए मुश्किल ये भी है कि वह चुनाव से पहले न्याय के जरिए नैरेटिव सेट करने की बात कह रहे थे, लेकिन अब मुद्दा एक बार फिर राष्ट्रवाद पर जाकर अटक गया है. क्योंकि राष्ट्रवाद बीजेपी की पिच वाला ऐसा चुनावी एजेंडा है, जिस पर कांग्रेस दूर रहना ही चाहती थी और जिसके लिए उसने 72 हज़ार रुपये और गरीबी हटाओ का स्लोगन निकाला था. लेकिन उसे क्या पता था कि जाने-अनजाने वो फिर उन्हीं बातों में फंसेगी, जिससे वो बचना चाह रही थी.

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