घर की सीढ़ियों में भी होता है वास्तु दोष इन उपायों से करें दूर

आज के समय में हर कोई तरक्की की सीढ़ी को चढ़ना चाहता है और उसके लिए हर व्यक्ति दिन-रात मेहनत भी बहुत करता है। लेकिन फिर भी उन्हें मनचाही सफलता नहीं मिलती है। इसके पीछे का कारण घर में मौजूद वास्तु दोष हो सकता है। लेकिन क्या आपको पता है कि ये वास्तु दोष घर के किसी भी कोने में हो सकता है। आज हम बात करेंगे घर की सीढ़ियों के बारे में, जोकि आपकी तरक्की में रूकावट बनने का कारण हो सकती हैं। जी हां, आपके घर की सीढ़ियों में भी वास्तु दोष हो सकता है। तो आज हम आपको इससे जुड़े कुछ उपायों के बारे में बताएंगे। 

वास्तु के अनुसार सीढ़ियों के निर्माण उत्तर से दक्षिण की ओर व पूर्व से पश्चिम की ओर होना चाहिए। कहते हैं कि जो लोग पूर्व दिशा की ओर से सीढ़ी बनवा रहे हों उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सीढ़ी पूर्व दिशा की दीवार से लगी हुई नहीं हो और इसके साथ ही पूर्वी दीवार से सीढ़ी की दूरी कम से कम 3 इंच होने पर घर वास्तुदोष से मुक्त होता है।

सीढ़ी के लिए नैऋत्य यानि दक्षिण दिशा उत्तम होती है। इस दिशा में सीढ़ी होने पर घर प्रगति की ओर अग्रसर रहता है। 

वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर-पूर्व यानि ईशान कोण में सी‍ढ़ियों का निर्माण नहीं करना चाहिए। इससे आर्थिक नुकसान, स्वास्थ्य की हानि, नौकरी एवं व्यवसाय में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सी‍ढ़ियों के आरंभ और अंत में दरवाजा बनवाने चाहिए।

दक्षिण पूर्व में सी‍ढ़ियों का होना भी वास्तु के अनुसार नुकसानदेय होता है। इस दिशा में सीढ़ी का होना अवनति का प्रतीक माना गया है। इससे बच्चों के स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव बना रहता है।

जो लोग खुद ग्राउंड फ्लोर पर रहते हैं और किराएदारों को ऊपरी मंजिल पर रखते हैं उन्हें मुख्य द्वार के सामने सी‍ढ़ियों का निर्माण नहीं करना चाहिए। 

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