गौशाला तीर्थ योजना शुरु करेगी सरकार, प्रदेश की 614 गौशालाओं की उत्पादकता बढ़ेगी
भोपाल
मध्यप्रदेश के किसानों के लिए चल रही खेत तीर्थ योजना की तर्ज पर राज्य सरकार अब गौपालकों के लिए गौशाला तीर्थ योजना शुरु करने जा रही है। इसके जरिए सरकार गौपालकों को अच्छी गौशालाओं का भ्रमण कराएगी और उन्हें प्रेरित करेगी कि वे भी अपने गौवंश के जरिए गौशालाओं की उत्पादकता बढ़ाए और अपनी आमदनी में इजाफा करे।
इस योजना के तहत राज्य सरकार मध्यप्रदेश के अलावा अन्य राज्यों की गौशालाओं में भी किसानों और गौपालकों को भ्रमण कराएगी। इसके लिए मध्यप्रदेश के भीतर स्थित पंद्रह और राज्य के बाहर की पांच गौशालाओं को चिन्हित किया गया है। राजस्थान के साचौर जिले की पथमेरा गौशाला, हरियाणा की लाड़वा गौशाला, गुजरात मे गोपालभाई सतारिया की बंशीगिरी गौशाला, गुजरात के गोंडल आश्रम की गौशाला और जालंधर में आशुतोष महाराज की गौशाला का भ्रमण कराया जाएगा।
इसके अलावा मध्यप्रदेश में जबलपुर स्थित जीवदया गौशाला सहित पंद्रह गौशालाओं का भ्रमण गौशाला संचालकों और गौपालकों को कराया जाएगा।
गौशालाओं के ये उत्पाद बढ़ाएंगे आमदनी- गोबर से तैयार होंने वाली बिजली, गैस, गोबर से तैयार होंने वाली लकड़ी, जैविक गोबर खाद, वर्मी कंपोस्ड खाद, दूध, घी, दूध से बने अन्य उत्पाद, गौमूत्र से तैयार अर्क और औषधि, हवन सामग्री, छोटे कंडे, गमले, शैम्पू, साबुन, सहित 114 तरह के विभिन्न उत्पाद। इसके अलावा गौवंश की ब्रीडिंग करके उन्नत नस्ल के गौवंश तैयार करना।
प्रदेश में एक हजार गौशालाएं पंजीकृत है। इनमें से 614 गौशालाएं क्रियाशील है। इनमें से 36 गौशालाएं ऐसी है जहां दूध के अलावा अन्य गौवंश उत्पादों का उत्पादन कर बेहतर आमदनी अर्जित की जा रही है। राज्य सरकार का सोचना है कि अन्य गौशालाओं में भी उत्पादकता बढ़े और वे आत्मनिर्भर बने। गौशालाओं के बाद छोटे युवा बेरोजगार गौपालकों को भी इन योजनाओं से समूह बनाकर जोड़ा जाएगा और उनकी आय बढ़ाने का काम भी होगा।