गोरखपुरः बाहुबली पर हाथ डालने से उपचुनाव में नाराज थे ब्राह्मण, इस बार कांग्रेस ने बिगाड़ा खेल

 
नई दिल्ली 

गोरखपुर बीजेपी का मजबूत किला रहा है, लेकिन योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से पार्टी का ग्राफ ऊपर नहीं चढ़ सका है. साल 2017 में अप्रैल में लूट के एक मामले में पूर्वांचल के बाहुबली व पूर्व मंत्री पंडित हरिशंकर तिवारी के घर छापेमारी हुई थी, जिसके बाद से ब्राह्मण दो खेमे में बंट गए थे. एक खेमा मंदिर की तरफ और दूसरा तिवारी हाता से जुड़ गया था. इससे पहले ब्राह्मण वोटरों का झुकाव मंदिर की तरफ ही रहता था. स्थानीय पत्रकार राजन चौधरी बताते हैं कि इस छापेमारी की घटना के बाद से ब्राह्मण नाराज थे. इस छापेमारी ने ब्राह्मण वोटबैंक में सेंधमारी का काम किया था. अगर ब्राह्मण नहीं बंटे होते तो उपचुनाव में बीजेपी कैंडिडेट उपेंद्र दत्त शुक्ला को मुंह की नहीं खानी पड़ती.

क्यों हुई थी बाहुबली हरिशंकर तिवारी के घर छापेमारी

गोरखुपर के खोराबार थानाक्षेत्र के जगदीशपुर के पास से 14 मार्च 2017 को रिलायंस पेट्रोल पंप के कर्मचारियों से 98 लाख रुपये लूटे गए थे. इस पूरे मामले का मास्टर माइंड बलिया का छोटू चौबे था, जो कोर्ट में हाजिर होकर जेल में बंद था. पुलिस ने छोटू चौबे से सख्ती से पूछताछ की तो पता चला कि लुटेरों के संबंध सोनू पाठक से हैं. सोनू के पूर्व मंत्री के घर पर बने आउट हाउस में रहने की सूचना मिली थी, इसी आधार पर पुलिस ने छापेमारी कर हरिशंकर तिवारी के हाते से कुछ लोगों को हिरासत में लिया था. इस घटना के बाद विरोध प्रदर्शन भी हुआ था. इस दौरान पूर्व मंत्री के बेटे विधायक विनय शंकर तिवारी ने आरोप लगाया था कि यह छापेमारी प्रदेश सरकार के इशारे पर हुई है. पुलिस के पास वारंट नहीं था, इसके बावजूद घर में घुस आई. छापेमारी की कार्रवाई गलत है. पुलिस ने निर्दोष लोगों को हिरासत में लिया था.

कांग्रेस के ब्राह्मण कार्ड से बीजेपी को हो सकता है घाटा  

गोरखपुर सीट पर वैसे तो सीधी टक्कर महागठबंधन और बीजेपी के बीच है, लेकिन कांग्रेस के उम्मीदवार से सीधा नुकसान बीजेपी को हो रहा है.  कांग्रेस ने यहां से एडवोकेट मधूसुदन तिवारी को मैदान में उतारा है. मधूसुदन तिवारी साफ छवि के लिए जाने जाते हैं और ब्राह्मणों के बीच में उनकी अच्छी खासी पैठ है. वह बाहुबली हरि शंकर तिवारी के भी करीबी माने जाते हैं. मधूसुदन तिवारी का नाम भले ही कांग्रेस ने देर से घोषित किया हो, लेकिन वे जिले के ब्राह्मण वोट बांटने में सफल हो सकते हैं. मधूसुदन तिवारी ने बताया कि उन्हें अखिल भारतीय ब्राह्मण सभा ने समर्थन किया है. साथ ही पूर्व मंत्री हरि शंकर तिवारी भी सपोर्ट कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यहां के कांग्रेसियों में उत्साह है. भले ही मुझे प्रचार के लिए कम समय मिला, लेकिन लोगों का समर्थन अच्छा मिल रहा है. इस बार का चुनाव परिणाम चौंकाने वाला होगा.

हिंदू युवा वाहिनी में पड़ी दरार से भी बीजेपी को नकुसान  

सीएम योगी ने साल 2002 में हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया था. इस संगठन ने गोरखपुर में हिंदुत्व की राजनीति पर अपनी मजबूत पकड़ बना ली थी. पूर्वांचल की लगभग हर सीट पर योगी का दबदबा हो गया था. बता दें कि इस संगठन से पहले तक बीजेपी में योगी को खुद वह जगह नहीं मिल पा रही थी, जिसकी वह चाह रखते थे. हालांकि इस संगठन में रार पड़ चुकी है. इससे भी बीजेपी को नुकसान हो सकता है. इसके संस्थापक सदस्य रहे सुनील सिंह ने बताया कि हिंदू युवा वाहिनी से लाखों युवाओं को जोड़ा गया था. इसके दम पर योगी आदित्यनाथ बीजेपी में अपनी ताकत दिखाने लायक हुए थे. सुनील सिंह ने बताया कि अब वह उनके संगठन में नहीं हैं. उन्होंने अपना संगठन तैयार कर लिया है, जिसमें हिंदू युवा वाहिनी के कई कार्यकर्ता शामिल हैं.

अमित शाह की रैली से बीजेपी को मिलेगा फायदा

बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह 16 मई को गोरखपुर में रोड शो करेंगे. इसके लिए बीजेपी जोरदार तैयारी कर रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री व प्रदेश के भाजपा चुनाव प्रभारी जेपी नड्डा और और पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री अनिल जैन ने रोड शो का प्लान बनाया है. अमित शाह की रैली के बाद से बीजेपी के वे कार्यकर्ता सक्रिय भूमिका में आएंगे, जो उपचुनाव में नहीं थे. पत्रकार राजन चौधरी का कहना है कि अमित शाह के रोड शो से बीजेपी को फायदा जरूर होगा, लेकिन लहर जैसा कुछ नहीं होगा. कुल मिलाकर ये कह सकते हैं कि योगी की सोशल इंजीनियरिंग और अमित शाह की रैली ही बीजेपी के फेवर में है. रहा सवाल निषाद और ब्राह्मण वोटरों का साधने का तो ये पिक्चर साफ नहीं है.

गोरखपुर का जातीय समीकरण

गोरखपुर में करीब 19 लाख वोटर हैं. इसमें निषाद 2.63 लाख,  यादव 2.40 लाख, दलित 2.55 लाख, ब्राह्मण 2.08 लाख, अन्य पिछड़े 3.04 लाख, वैश्य 1.62 लाख, कायस्थ 0.75 लाख और अन्य में 2.40 लाख शामिल हैं. इसमें निषाद वोटर निर्णायक की भूमिका में होते हैं.

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