गोमती रिवर फ्रंट घोटाला: अखिलेश और शिवपाल तक पहुंच सकती है ED की जांच की आंच

 
लखनऊ 

यूपी में अवैध खनन के बाद ईडी ने कथित गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। ईडी की टीमों ने गुरुवार को लखनऊ के 5 ठिकानों के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, राजस्थान के भिवांडी और हरियाणा के फरीदाबाद में भी 4 जगह छापेमारी कर कई अहम दस्तावेज अपने कब्जे में लिए। इन दस्तावेजों से कई अहम जानकारियां मिलने की बात कही जा रही है। बताया जा रहा है कि एसपी सरकार में शुरू हुए रिवर फ्रंट प्रॉजेक्ट की जांच की आंच तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव और सिंचाई मंत्री शिवपाल शिवपाल यादव सहित कई बड़ों तक पहुंच सकती है। 
 
ईडी की एक टीम ने लखनऊ में विशालखंड में ठेकेदार अखिलेश सिंह के मकान (3/522) में छापा मारा। अखिलेश सिंह संतकबीर नगर के मेहंदावल से बीजेपी विधायक राकेश सिंह के करीबी रिश्तेदार हैं। ईडी की एक टीम ने विपिनखंड में बैंक ऑफ बड़ौदा के सामने स्थित गैमन इंडिया के दफ्तर में भी छापा मारा। गैमन इंडिया गोमती रिवर फ्रंट की मुख्य निर्माण कंपनी है। इसके अलावा ईडी की टीमों ने राजाजीपुरम के अलावा गोमतीनगर के 2 और ठिकाने भी खंगाले। 

बताया जा रहा है कि जो दस्तावेज बरामद हुए हैं, उनसे सिंचाई विभाग के आरोपित आठों इंजिनियरों, निर्माण से जुड़ी सभी कंपनियों और अधिकारियों के घोटाले से जुड़े होने की कड़ियां मिल रही हैं। इसके अलावा गलत तरीके से टेंडर देने और कमिशन के चक्कर में प्रॉजेक्ट की लागत बढ़ाने की जानकारी भी मिली है। घोटाले के तार कई बड़ों तक पहुंचने की भी संभावना है। 
 
मानकों को ताक पर रखकर बांटे गए टेंडर 
ईडी की अब तक की पड़ताल में खुलासा हुआ है कि गोमती रिवर फ्रंट प्रॉजेक्ट में मनमाने तरीके से टेंडर बांटे गए। डायफ्रॉम वॉल की ऊंचाई 14 फुट से बढ़ाकर 16.5 और बाद में 18 फुट तक कर दी गई। कई निर्माण कंपनियों और ठेकेदारों को टेंडर की तारीख निकलने के बाद टेंडर दिए गए। निर्माण से जुड़े फंड को बिना आदेश के डायवर्ट किया गया। 

ठेकेदारों के जरिए इंजिनियरों को कमिशन 
ईडी को कई ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जिनसे पता चला है कि प्रॉजेक्ट से जुड़े ठेकेदारों को तय लागत से ज्यादा का भुगतान किया गया। ठेकेदारों के जरिए इंजिनियरों को कमिशन पहुंचाया गया। कई ऐसे ठेकेदारों को भी टेंडर दिए गए, जो सिंचाई विभाग में रजिस्टर्ड ही नहीं थे। इसके लिए टेंडर की आखिरी तारीख पर उनकी कंपनियों को विभाग में रजिस्टर किया गया। छापेमारी में बरामद दस्तावेजों से ठेकेदारों, इंजिनियरों और अधिकारियों के बीच मनी ट्रेल के सामने आने की उम्मीद है। 
 
ठेकेदारों और अफसरों की बातचीत की पड़ताल 
9 ठिकानों में देर रात तक चली छापेमारी में ईडी ने आरोपितों के घर से बरामद लैपटॉप, मोबाइल फोन की डिटेल खंगाली। टेंडर होने और उसके पहले इंजिनियर, ठेकेदारों और अधिकारियों के बीच हुई चैट और ई-मेल की पड़ताल हो रही है। उस दौरान बैंक खातों से हुए ट्रांजेक्शन पता करने के साथ उस रकम के स्रोत के बारे में भी पूछताछ हुई। ईडी इस मामले में जल्द कई इंजिनियरों और ठेकेदार को गिरफ्तार कर उनकी संपत्तियां अटैच कर सकती है। सिंचाई विभाग के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता और शिवपाल यादव के करीबी रूप सिंह यादव पर भी जल्द शिकंजा कस सकता है। 

विवादों में घिरा था पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार का प्रॉजेक्ट 
अखिलेश सरकार का यह प्रॉजेक्ट निर्माण के साथ ही विवादों में घिर गया था। प्रॉजेक्ट की लागत तीन गुना तक बढ़ाने, दागी कंपनियों को काम देने, विदेश से महंगा सामान खरीदने, चैनलाइजेशन के काम में घोटाले, नेताओं और अधिकारियों के विदेश दौरे पर फिजूलखर्ची करने सहित वित्तीय लेनेदेन के तमाम आरोप लगे थे। योगी सरकार ने सत्ता संभालते ही इसकी जांच के आदेश दिए थे। 
 

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