गुना की लोकसभा सीट: इंदिरा-लहर भी सिंधिया से टकरा कर वापस लौट गई थी

गुना
मध्यप्रदेश की गुना लोकसभा सीट सिंधिया परिवार के प्रति तकरीबन 5 दशकों से समर्पित है. ग्वालियर की राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने यहां पहला चुनाव जीता तो माधवराव सिंधिया ने भी गुना से ही चुनाव जीतकर राजनीतिक पारी की शुरुआत की. गुना सीट की खास बात ये रही कि लहर किसी की भी क्यों न हो लेकिन यहां का मतदाता राजपरिवार के प्रति अपनी निष्ठा से समझौता नहीं करता.

साल 1971 में जब देशभर में इंदिरा लहर थी तब माधवराव सिंधिया जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़े थे. इसी तरह साल 1977 में जब जनता पार्टी की लहर थी तब माधवराव सिंधिया निर्दलीय चुनाव जीते. इसी तरह साल 2014 में जब देश में मोदी-लहर थी तब ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से चुनाव जीते. पिछले चार लोकसभा चुनाव में गुना से कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही जीत मिली है. साल 2004 में उन्होंने गुना सीट से पहली दफे जीत हासिल की थी.

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी के प्रत्याशी जयभान सिंह को हराया था. इस बार बीजेपी ने डॉ केपी यादव को ज्योतिरादित्य सिंधिया के मुकाबले उतारा है.

गुना की लोकसभा सीट पर साल 1957 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए थे और कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर विजयाराजे सिंधिया विजयी हुईं थीं. लेकिन 1969 में इंदिरा सरकार के दौरान प्रीवी पर्स की सारी सुविधाएं छीनने से नाराज विजया राजे सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ दी थी और वो जनसंघ से जुड़ गईं थीं. बाद में बीजेपी की तरफ से गुना सीट का प्रतिनिधत्व चार लोकसभा चुनाव में किया. ऐसे में दादी और पिता की राजनीतिक जमीन पर ज्योतिरादित्य सिंधिया को टक्कर देने के लिए बीजेपी को सिंधिया परिवार से ही कोई चेहरा तलाशना पड़ेगा.

गुना लोकसभा सीट के तहत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं. यहां पर शिवपुरी, बमोरी, चंदेरी, पिछोर, गुना, मुंगावली, कोलारस, अशोक नगर विधानसभा सीटें हैं . यहां 8 विधानसभा सीटों में से 4 पर बीजेपी और 4 पर कांग्रेस का कब्जा है.

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