गया में मांझी बनाम मांझी की लड़ाई, जानिए इस सीट का राजनीतिक इतिहास
गया
बिहार लोकसभा की 40 सीटों में गया लोकसभा बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। आरक्षित होने के चलते इस सीट को लेकर पार्टियों में काफी जद्दोजहद है। गया सीट पर मांझी बनाम मांझी की लड़ाई तय मानी जा रही है। एनडीए से यह सीट जदयू के खाते में है। इस सीट पर जदयू से पूर्व विधायक विजय मांझी की उम्मीदवारी तय मानी जा रही है। हालांकि अभी इसकी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। लेकिन विजय पार्टी नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं और कार्यकर्ताओं से तैयार रहने को कहा है। वहीं महागठबंधन की ओर से यह सीट हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ‘हम' को दी गई। इस सीट से हम प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी उम्मीदवार होंगे। इसलिए सीट से मांझी बनाम मांझी की लड़ाई तय हो गई है। इससे पहले इस सीट से महागठबंधन का राजद लगातार चुनाव लड़ता रहा है। 2014 में यहा से राजद के रामजी मांझी दूसरे स्थान पर रहे थे। इससे पहले दो लोकसभा चुनावों 2009 और 2014 में भाजपा के हरि मांझी ने राजद के रामजी मांझी को पटखनी दी है। .
मुख्यमंत्री रह चुके हैं जीतन राम मांझी
जीतन राम मांझी 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बने थे जब नीतीश कुमार ने लोकसभा में अपनी पार्टी जदयू के खराब प्रदर्शन के बाद इस्तीफा दे दिया था। लेकिन बाद में मांझी और नीतीश के संबंध खराब हो गए और उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। मांझी ने फिर अपनी पार्टी बनाई और 2015 के विधानसभा चुनाव में एनडीए का हिस्सा थे लेकिन उनका प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा। बाद में वो भी एनडीए छोड़कर महागठबंधन का हिस्सा बन गए। उन्हें इस बार तीन सींटे दी गईं हैं।.
पत्थर तोड़ने वाली भगवती भी यहां से सांसद बन चुकी हैं
1967 में सीट आरक्षित होने के बाद पहली बार 1967 में कांग्रेस के रामधनी दास यहां से सांसद बने। लेकिन, पिछले 20 साल से इस सीट पर मांझी का कब्जा है। पहले 1999 में भाजपा के रामजी मांझी, 2004 में राजद के राजेश कुमार मांझी और अब 2009 व 2014 में भाजपा के हरि मांझी यहां से सांसद हैं। गया लोकसभा से 1996 में भगवती देवी सांसद बनी। वह पहले पत्थर तोड़ने का काम करती थीं। हालांकि, इससे पहले वह बाराचट्टी व फतेहपुर विधानसभा से विधायक रही थीं। .
प्रचार के दौरान दो पूर्व सांसदों की हो चुकी है हत्या
गया में दो पूर्व सांसदों की हत्या चुनाव प्रचार के दौरान हो चुकी है। 15 मई 1991 को लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कोंच थाना के कराय मोड़ के पास उस समय के सांसद ईश्वर चौधरी की हत्या कर दी गई। वहीं 2005 में डुमरिया में एक गांव में प्रचार करने के दौरान पूर्व सांसद राजेश कुमार की हत्या कर दी गई।