गठिया के दर्द से हैं परेशान तो करें उर्ध्वामुख श्वानासन

योग में पीछे मुड़कर करने वाले आसनों में उर्ध्वामुख श्वानासन सभी आयु वर्ग के लिए काफी उपयोगी माना जाता है। यह आसन विशेषकर घुटने और गठिया रोगियों के लिए रामबाण है। उर्ध्वामुख का मतलब है उठा हुआ मुंह और श्वान संस्कृत में कुत्ते को कहा जाता है। यानी कुत्ते के उठे हुए मुंह की तरह यह आसन किया जाता है। इससे पहले हम श्वानासन के दूसरे स्वरूप को बैठने वाले आसनों में कर चुके हैं। यह स्पाइन में नई चेतना लाता है और कमर दर्द में आराम देता है। योग प्रशिक्षक जिज्ञासा कापरी और कल्पना शर्मा इस आसन के बारे में बता रही हैं।

ऐसे करें

– पहले पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। गर्दन उठी हुई रखें और हाथों के पंजों को कंधे के पास जमीन में उस अवस्था में रखें, जिसमें शरीर को उठाने के लिए रखा जाता है।

– अब हाथों के बल आगे के हिस्से को उठाएं। हाथों के पंजों के बल पर शरीर को पूरा उठा दें। हाथ एकदम सीधे रहें और गर्दन ऊपर की ओर रखें।

आयंगर पद्धति से
– दीवार में या किसी पाइप में दो रस्सियां बांध लें। अब दीवार की विपरीत दिशा में मुंह करके लेट जाएं फिर पीठ के बल पीछे की ओर उठें और दोनों रस्सियों को पीठ के पीछे करके पकड़ लें। हाथा ऊपर उठे होने चाहिए।

– पेट के नीचे तकिया रखें और उस पर पेट के बल लेट जाएं। अब तकिए पर हाथ रख कर सीने को ऊपर की ओर उठा लें।

– पेट के बल लेटें। अब सीने के आगे एक स्टूल रख लें। स्टूल के बीच एक तकिया रख लें और उस पर सीना टिका दें। स्टूल के पाए हाथों से पकड़ लें।

फायदे
पीठ में अकड़न से पीड़ित व्यक्तियों के लिए यह काफी लाभदायक होगा। घुटने, कमरदर्द और गठिया के रोगियों के लिए बेहतर है। सीना फैलाता है जिससे फेफड़े लचीले होते हैं। पेट में रक्त संचार का प्रवाह और बेहतर करता है।

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