खूंखार नक्सली हिड़मा के गढ़ में CRPF ने लहराया तिरंगा, यहां लोगों ने पहली बार देखा देश का झंडा!
स्वतंत्रता दिवस पर छत्तीसगढ़ के घोर नक्सल प्रभावित इलाके से एक अच्छी खबर निकलकर आई है. खूंखार नक्सली हिड़मा के गढ़ में सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन ने आज देश का तिरंगा झंडा शान से लहराया है. यहां पहुंचने के लिए सुरक्षा बल के इन जवानों को अपनी जान की बाजी भी लगानी पड़ी. नक्सलियों ने उन्हें रोकने की साजिश कर रखी थी, लेकिन जवानों के जज्बों के आगे वो नाकाम हो गई.
छ्त्तीसगढ़ के घोर नक्सल प्रभावित इलाके और नक्सलियों के खूंखार लीडर हिड़मा के गढ़ सुकमा के कशालपाढ़ में सुरक्षा बल के जवान पहुंचे. आजादी के दिन सीआरपीएफ की 206 कोबरा बटालियन ने पहली बार भारत का राष्ट्रीय ध्वज लहराया. जिस दौरान सीआरपीएफ के जवान नक्सलियों के गढ़ में पहली बार देश की आजादी का जश्न मना रहे थे. इस दौरान नक्सलियों ने इलाके में 2 बड़े आइईडी विस्फोट भी किए. इतना ही नहीं नक्सलियों ने जवानों पर फायरिंग भी की, लेकिन इसके बावजूद जवान नहीं डिगे और उन्होंने नक्सलियों के सबसे बड़े लीडर हिड़मा के गढ़ में तिरंगा फहरा कर ही दम लिया.
सामान्य नहीं है ये तस्वीर
नन्हे-मुन्ने बच्चो को तिरंगा बांटते हुए आप सीआरपीएफ के कमांडर रमेश यादव की ये जो तस्वीरे देख रहे है, ये आपको दिखने में तो एक सामान्य गांव सी लग रही होगी, लेकिन ये कोई सामान्य गांव नहीं बल्कि छ्त्तीसगढ में नक्सलियों का गढ़ सुकमा का कशालपाढ़ इलाका है. ये सबसे खूंखार नक्सली लीडर हिड़मा का गढ़ है. यहीं से हिड़मा पूरे देश मे नक्सल गतिविधियों को ऑपरेट करता है. इससे पहले आजादी के 72 वर्षो तक इस इलाके में कभी तिरंगा नहीं फहराया गया और न ही यहां के आदिवासियों ने इससे पहले शायद आजाद भारत के इस तिरंगे को देखा था.
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सीआरपीएफ की 206 कोबरा बटालियन के कमांडर रामेश यादव अपने साथी डिप्टी कमांडर शौरभ यादव, रमेश चौहान चौधरी और पूरी टीम के साथ कशालपाढ़ में झंडा फहराने पहुंचे. इसके लिए जवान रात में ही सीआरपीएफ कैम्प से निकलकर कशालपाढ़ पहुंचना पड़ा. 206 कोबरा बटालियन के कमांडर रामेश यादव ने बताया कि सीआरपीएफ के आने की खबर सुनते ही नक्सली भाग गए, लेकिन जवानों को डराने नक्सली जंगलों की आड़ लेकर दनादन फायरिंग कर रहे थे और इस दौरान उन्होंने 2 आइईडी विस्फोट भी किये, लेकिन जवान नहीं डिगे और उन्होंने नक्सलियों के गढ़ में पहली बार तिरंगा भी फहराया और गांववालों को आजाद भारत के विकास से भी रूबरू कराया.