क्या COVID-19 से लड़ाई के लिए तैयार हैं कोरोना कमांडो?

 
नई दिल्ली 

कोरोना वायरस से लड़ने के लिए देश के सभी 548 जिलों में लॉकडाउन कर दिया गया है. लेकिन क्या राज्य द्वारा सिर्फ लॉकडाउन कर देने से कोरोना वायरस खत्म हो जाएगा? बिल्कुल नहीं. कोरोना वायरस को पहले ही महामारी घोषित किया जा चुका है और बिना जनभागीदारी, COVID-19 को हराया नहीं जा सकता है. लॉकडाउन के दौरान कई लोग अपनी गाड़ी लेकर सैरसपाटे के लिए निकल जा रहे हैं. आप कहेंगे शायद वो इसकी गंभीरता नहीं समझ पा रहे हैं, हमें उन्हें समझाना होगा. लेकिन आपको जानकर ताज्जुब होगा नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले ज्यादातर लोग बड़े शहरों के एलीट क्लास (संभ्रांत वर्ग) के लोग हैं.

हां ये जरूर है कि बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे घनी आबादी वाले राज्यों में लॉकडाउन की वजह से सार्वजनिक वाहनों में भीड़ बढ़ गई है. लेकिन यहां बसों में यात्रा करने वाले ज्यादातर मजदूर वर्ग के लोग हैं जो बाहर राज्यों में काम कर रहे थे. सभी सरकारों को यह समझना होगा कि सिर्फ लॉकडाउन कर देने से कोरोना वायरस का संकट नहीं टलेगा. उन्हें आगे की दिशा भी तय करनी होगी.

सोमवार को आपने दिनभर टीवी पर देखा होगा कि कैसे आम लोग लॉकडाउन को ठेंगे पर रखते हुए सड़कों पर निकल जा रहे हैं और पुलिस वाले उनके सामने हाथ जोड़कर घर वापस जाने की मिन्नतें कर रहे हैं. लेकिन क्या सिर्फ आम लोग ही नियमों को ताक पर रख रहे हैं और सारे अधिकारी अपना काम ईमानदारी से निभा रहे हैं? तो इसका जवाब है नहीं.

मैं ग्रेटर नोएडा में रहता हूं. सोमवार को मेरे पड़ोस में एक व्यक्ति आए. वो दुबई में काम करते हैं. उनका परिवार लगभग एक हफ्ते से शहर से बाहर है, वो अपने पैतृक गांव गए हुए हैं. सोमवार को सुबह 11 बजे के करीब जब उनका गेट खुला देखा तो मन में सवाल उठे, कमरे के अंदर कौन दाखिल हो गया? दुबई से आए शख्स की पत्नी हमारी पत्नी की मित्र हैं, इसलिए हमने उनसे फोन कर पूछा कि उनके घर में कोई आया है क्या? उन्होंने बताया कि उनके पति आए हैं. वो दो दिन पहले ही दुबई से वापस लौटे हैं. पहले वो मेरठ (उनके गांव) गए थे. लेकिन ऑफिस के किसी जरूरी काम से फिलहाल ग्रेटर नोएडा आए हैं. उनके साथ उनका एक मित्र भी है जो दुबई में उनके साथ ही रहता है.

मेरी पत्नी ने जब ये सारी बातें मुझे बताई तो मुझे फिक्र हुई, कि कहीं वो कोरोना पॉजिटिव तो नहीं है और अगर वो निगेटिव भी हैं तो क्या उन्हें कुछ दिनों के लिए क्वारनटीन नहीं रहना चाहिए था? मेरी चिंता का एक विषय यह भी था कि क्या एयरपोर्ट पर उनकी ठीक से जांच हुई है या नहीं? मैंने सोसाइटी के गेट पर फोन कर संबंधित व्यक्ति को सभी जानकारी दी. उन्हें बताया कि उनका चेक कराया जाना बेहद जरूरी है अन्यथा यह बीमारी पूरी सोसाइटी में फैल जाएगी.

लगभग दो घंटे बाद कुछ गार्ड्स उनके दरवाजे पर पहुंचे और उनसे पूछताछ की. लेकिन उन्हें जांच के लिए या आगे कि किसी भी प्रकिया के लिए नहीं भेजा गया. मुझे चिंता इस बात की भी थी कि जैसे-जैसे देरी होगी इसके फैलने की संभावना बढ़ेगी. क्योंकि वे दोनों बार-बार घर से बाहर निकल रहे थे. इस दौरान उन्होंने अपने चेहरे पर कोई मास्क भी नहीं लगाया था. मैंने दोपहर तीन बजे के करीब गौतम बुद्ध नगर के डीएम को ट्वीट करते हुए अपनी चिंता रखी. बाद में फिर से पुलिस कमिश्नर और सीएम योगी आदित्यनाथ ऑफिस को टैग करते हुए अपनी बात रखी.

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