क्या है नवरात्र के दूसरे दिन का महत्व? मां ब्रह्मचारिणी को ऐसे करें प्रसन्न
नई दिल्ली
कलश स्थापना के साथ ही 25 मार्च से चैत्र नवरात्र शुरु हो गई है. इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है. नवरात्र के पहले दिन जहां मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है वहीं दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है. इन्होंने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी. इस कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाता है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं.
मां ब्रह्मचारिणी इनको ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है. कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने के कारण भी इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया है. विद्यार्थियों के लिए और तपस्वियों के लिए इनकी पूजा बहुत ही शुभ फलदायी होती है. जिनका स्वाधिष्ठान चक्र कमजोर हो उनके लिए भी मां ब्रह्मचारिणी की उपासना अत्यंत अनुकूल होती है.
क्या है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि?
– मां ब्रह्मचारिणी की उपासना के समय पीले अथवा सफेद वस्त्र धारण करें.
– मां को सफेद वस्तुएं अर्पित करें, जैसे- मिसरी, शक्कर या पंचामृत.
– ज्ञान और वैराग्य का कोई भी मंत्र जपा जा सकता है.
– वैसे मां ब्रह्मचारिणी के लिए "ॐ ऐं नमः" का जाप करें.
– जलीय आहार और फलाहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
एकाग्रता ज्ञान और विद्या बुद्धि पाने के लिए क्या करें?
– नवरात्र के दूसरे दिन एक विशेष प्रयोग करें.
– रात्रि में देवी के समक्ष सफेद या पीले वस्त्र पहनकर बैठें.
– देवी को सफेद पुष्प अर्पित करें और सफ़ेद वस्तुओं का भोग लगाएं.
– देवी को चांदी का अर्ध चन्द्र भी अर्पित करें.
– इसके बाद "ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः" का कम से कम 3 माला जाप करें.
– अब अर्धचंद्र को लाल धागे में पिरोकर गले में धारण कर लें.
– इस उपाय से एकाग्रता, ज्ञान और विद्या बुद्धि में सुधार होगा.
– साथ ही चन्द्रमा भी मजबूत होगा.
– नवरात्र के दूसरे दिन मां की पूजा सफेद फूलों से करें.
– इससे मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है.