कोरोना: शहर में 90 कन्टेंनमेंट एरिया, आसपास के 100 घरों में सर्वेलेंस टीमें

भोपाल
कोरोना के संक्रमित मरीजों के बढ़ने के साथ ही शहर में अब स्वास्थ्य विभाग ने माइक्रो प्लान पर काम शुरू किया है. जिन क्षेत्रों में संक्रमित मरीज मिले उनके आसपास के 100 घरों में सर्वेलेंस टीमें सर्वे कर रही हैं. इन टीमों में आशा कार्यकर्ता , आंगनवाडी वर्कर, एएनएम यूएचवी और टीम का प्रभारी एक डॉक्टर बनाया गया है. टीम सर्दी खासी, बुखार जैसे संदिग्ध लक्षणों वाले मरीजों और खासतौर पर 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों की पड़ताल में जुटी है.

अभी कोरोना के पोजिटिव मरीज विदेश से आने वाले या पोजिटिव मरीज के संपर्क में आये लोग ही संक्रमित हुए हैं. सर्वे टीमों और स्वास्थ्य विभाग के लिए शहर के पॉश इलाकों में सर्वे का काम चुनौती भरा हो गया है. क्योंकि अरेरा कोलोनी, चार इमली, होशंगाबाद रोड,कोलार रोड सहित ज्यादातर पाश इलाकों और कोलोनियों में आशा कार्यकर्ता और आंगनवाडी वर्कर जैसे मैदानी कार्यकर्ता नहीं हैं. इस वजह से सर्वे कार्य में परेशानी हो रही है. सरकार ने जिन क्षेत्रों को साफ़-स्वच्छ माना आज कोरोना के मरीज उन्हीं कोलोनियों में निकल रहे हैं. सर्वे में लगे फील्ड वर्कर सीमित संसाधनों में काम कर रहे हैं . उन्हें भी संक्रमित होने का डर लगा रहता है. कन्टेंनमेंट एरिया में सदिग्ध लोग अपने घरों पर क्वारेंटाईन का बोर्ड भी नहीं लगाने दे रहे न खुद से जानकारी दे रहे हैं.

आम तौर पर एक आशा कार्यकर्ता 1 हजार की आबादी पर काम करती है लेकिन 24 लाख की आबादी पर शहर में महज 680 आशा कार्यकर्ताएं काम कर रहीं हैं. कोरोना सर्वे के काम में आशा कार्यकर्ताओं के सामने कई चुनौतियाँ सामने आ रहीं हैं. सबसे ज्यादा पॉश कोलोनियों में लोग सहयोग के बजाय जानकारी नहीं दे रहे हैं. यही हाल आंगनवाडी कार्यकर्ताओं का है. महज 1200 वर्कर पूरे शहर में पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं को पहुँचाने के लिए काम कर रहीं हैं.

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