कोरोना वायरस से जुड़े ये हैं कुछ वायरल ‘Myths’,जानें क्या है इनसे जुड़ी सच्चाई

 नई दिल्ली 
इन दिनों कोरोना वायरस को लेकर कई तरह के मिथक प्रचलित हो रहे हैं। इन्हें लेकर आम लोगों में काफी भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। क्या है, इन मिथकों की सच्चाई, आइए जानते हैं।

1-संक्रमण से बचने के लिए दाढ़ी रखने से बचें-
हकीकत-एक अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी द्वारा पूर्व में जारी किए गए ग्राफिक के जरिये यह गलत जानकारी फैलाई जा रही है कि कोविड-19 संक्रमण से बचने के लिए पुरुषों को अपने चेहरे के बाल हटा देने चाहिए। अमेरिका के ‘सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल’ ने 2017 में एक ग्राफिक जारी किया था, जिसमें चेहरे के बालों के दर्जनों उदाहरण दर्शाए गए थे और यह बताया गया था कि ‘रिस्पिरेटर मास्क’ पहनने वालों को किस तरह की दाढ़ी नहीं रखनी चाहिए। हाल में सीडीसी ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है और न ही इसने लोगों को दाढ़ी हटाने का कोई सुझाव दिया है।

2-काली त्वचा वाले लोगों को कोविड-19 संक्रमण नहीं हो सकता –
हकीकत-केन्या देश के स्वास्थ्य मंत्री ने इस अफवाह का खंडन किया है। डरबन में स्थित ‘नेल्सन आर मंडेला स्कूल ऑफ मेडिसिन’ के एक प्रोफेसर का कहना है कि इस धारणा के पक्ष में कोई भी साक्ष्य मौजूद नहीं है। असल में हम जानते हैं कि काली त्वचा वाले लोग भी कोविड-19 वायरस से संक्रमित हो रहे हैं।
 
3-कोविड-19 का टीका बहुत जल्दी तैयार हो जाएगा-
हकीकत-वैज्ञानिक कोविड-19 संक्रमण की दवा खोजने में जुटे हुए हैं। कई उपलब्ध दवाओं के असर को जांचा जा रहा है। चिकित्सा से जुड़े संस्थानों ने इसका टीका ईजाद करने की प्रक्रिया तेज कर दी है, लेकिन अभी पूरे यकीन के साथ यह नहीं कहा जा सकता कि इसका टीका कब तक तैयार होगा। अमेरिका के ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इनफेक्शस डिजीज’ के निदेशक एंथनी फॉसी कहते हैं, ‘टीके की खोज में कम से कम एक साल से 18 महीने तक का वक्त लगेगा।’ आमतौर पर टीका ईजाद करने में एक दशक या इससे ज्यादा का समय लग जाता है।

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