कोरोना मामला: दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- आप नहीं चाहते कि सच्चाई सामने आए
नई दिल्ली
राजधानी दिल्ली में बेकाबू होते कोरोना के हालात को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक बार फिर केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इसका स्वत: संज्ञान लेते हुए COVID-19 मरीजों के समुचित इलाज और सरकारी अस्पतालों में शवों के गरिमामयी ढंग से निपटान से संबंधित मामले की सुनवाई शुरू की। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 'आप' सरकार से पूछा कि दिल्ली ने क्या किया है? कृपया डॉक्टरों, नर्सों की सुरक्षा करें। वे कोरोना वॉरियर्स हैं। दिल्ली सरकार नहीं चाहते कि सच्चाई सामने आए। ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं।
Supreme Court's three-judge bench asks, "What has Delhi done? Please protect doctors, nurses. They are #Corona warriors. You (Delhi govt) do not want the truth to come out. Several videos have come out." https://t.co/gR7y98vhdO
— ANI (@ANI) June 17, 2020
कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा, मैसेंजर पर गोली न चलाएं, डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों को धमकी न दें, उन्हें समर्थन दें। आप इस तरह से सच्चाई को दबा नहीं सकते। आपने एक डॉक्टर को सस्पेंड क्यों किया, जिसने आपके एक अस्पताल की दयनीय स्थिति का वीडियो बनाया था? इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली सरकार से एक हलफनामा भी देने को कहा है। आगे की सुनवाई शुक्रवार के लिए तय की गई है।
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गौरतलब है कि बीते शुक्रवार को भी सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने कोरोना मरीजों की मौत के बाद उनके शवों के साथ कोताही बरतने के मामले में कहा था कि कोविड-19 मरीजों के साथ जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया जा रहा है और शव कचरे में मिल रहे हैं। कोर्ट ने इस मामले में चार राज्यों से रिपोर्ट मांगी थी। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम.आर. शाह की बेंच ने कोरोना महामारी से संक्रमित मरीजों का उचित तरीके से इलाज न किए जाने और इसके कारण मृत व्यक्तियों के शव के बेतरतीब प्रबंधन पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। कोर्ट ने दिल्ली में कोरोना की जांच में आई गिरावट पर भी चिंता जताते हुए कहा कि राजधानी में पहले की तुलना में कम जांच हो रही है, जबकि संक्रमण दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। जस्टिस भूषण ने कहा था कि हमें मीडिया रिपोर्ट में मरीजों की दुर्दशा की जानकारी मिली है। मरीजों को शवों के साथ रहना पड़ रहा है।
कोर्ट ने शवों की बदइंतजामी को लेकर कहा था कि केंद्र ने 15 मार्च को शवों के इंतजामात को लेकर दिशानिर्देश जारी किया हुआ है, लेकिन उसका भी पालन नहीं हो रहा है। कोर्ट ने दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु को नोटिस जारी किए। मामले की सुनवाई 17 जून को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देशभर के अस्पताल कोविड-19 से मरने वाले मरीजों की उचित देखभाल नहीं कर रहे हैं और परिवार के सदस्यों को उनकी मौत के बारे में सूचना नहीं दे रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कुछ मामलों में परिवार को अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं दिया जा रहा है। कोर्ट ने दिल्ली के LNJP अस्पताल सहित अन्य सरकारी अस्पतालों से इस मामले पर जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने राज्यों के मुख्य सचिवों से कहा है कि वह रोगी प्रबंधन प्रणाली की स्थिति के संबंध रिपोर्ट पेश करें।