कोरोना फाइटर का जज्बा, डिलीवरी के 22 दिन बाद बच्चे के साथ दफ्तर पहुंच गईं कमिश्नर

 
विशाखापत्तनम 

 कोरोना वायरस को मात देने में जहां डॉक्टर और नर्स प्रथम पंक्ति के योद्धा हैं, वहीं कई ऐसे सरकारी ऑफिसर हैं जो अपने ऑफिस में मौजूद रहकर इन डॉक्टरों और नर्सों को मदद कर रहे हैं. ग्रेटर विशाखापत्तनम नगर निगम (जीवीएमसी) की आयुक्त जी श्रीजना एक ऐसी ही ऑफिसर हैं. उन्होंने 22 दिन पहले ही एक बच्चे को जन्म दिया है. लेकिन इस घड़ी में जब ऑफिस में उनकी मौजदूगी की जरूरत हुई तो कोरोना संक्रमण का खतरा होने के बावजूद वो ऑफिस आ गईं.

डिलीवरी के 22 दिन बाद दफ्तर आईं कमिश्नर
श्रीजना ने कहा है कि इस वक्त जब देश कोरोना से लड़ रहा है तो पारिवारिक जिम्मेदारियों से आगे देश के प्रति फर्ज है. हालात को देखते हुए वो अपनी डिलीवरी के मात्र 22 दिनों बाद ही ऑफिस लौट आई हैं. जैसे ही उनके बच्चे ने जन्म लिया, केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस के खिलाफ देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा कर दी. जरूरत को देखते हुए श्रीजना ने मात्र 22 दिनों बाद ही अपना काम संभाल लिया.
 
पति और मां करते हैं मदद
जब श्रीजना से पूछा गया कि वह अपने ऑफिस के काम के साथ बच्चे की देखभाल कैसे करती हैं तो उन्होंने इसका श्रेय अपने वकील पति और अपनी मां को दिया. उन्होंने बताया कि वह हर चार घंटे बाद अपने घर जाती हैं ताकि अपने नवजात को दूध पिला सकें और इसके बाद काम पर लौट आती हैं. इस दौरान उनके पति और उनकी मां बच्चे की देखभाल करते हैं. कई बार वो बच्चे को ऑफिस भी लेकर आ जाती हैं.

समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए श्रीजना ने कहा कि उनका पूरा परिवार सपोर्ट करता है ताकि वे बिना परेशानी के ऑफिस में काम कर सकें. एक जिम्मेदार और प्रमुख अधिकारी के रूप में श्रीजना जानती हैं कि इस मुश्किल समय में आपातकालीन सेवाओं की कितनी आवश्यकता है. ऑफिस में इन सेवाओं को जारी रखने में वो अहम रोल निभा रही हैं.

कोरोना के खिलाफ मुहिम में शामिल
श्रीजना ने कहा कि जिला प्रशासन वायरस का संक्रमण रोकने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा, "जीवीएमसी यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास कर रहा है कि इलाके में स्वच्छता अभियान चले, गरीबों को जरूरी चीजें मिल पाएं, इसके साथ ही जिला अधिकारियों के साथ सभी स्तरों पर समन्वय स्थापित किया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वायरस का संक्रमण रोका जाए."
 

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