कैबिनेट में हिस्सेदारी न मिलने से JDU नाराज, नीतीश कुमार ने किया इशारा

नई दिल्ली
नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण के बाद बीजेपी के साथ जेडीयू की अप्रत्यक्ष रूप से तकरार सामने आई है. इस बार मोदी सरकार में जेडीयू ने कोई भी मंत्री पद नहीं लिया है. इसके बाद जनता दल यूनाइटेड (JDU) के अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इशारों-इशारों में जताया कि पार्टी बीजेपी से नाराज है. उन्होंने कहा, मीडिया में ऐसी रिपोर्ट आ रही है कि हम 3 सीटों की मांग कर रहे हैं जो सरासर गलत है.

पटना एयरपोर्ट पर उतरने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए नीतीश कुमार ने साफ कह दिया कि उनकी उम्मीद थी कि संख्या बल के आधार पर बीजेपी सहयोगी दलों को मंत्रिपरिषद में जगह देगी मगर ऐसा नहीं हुआ.

नीतीश कुमार ने कहा कि शपथ ग्रहण से पहले उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और बिहार बीजेपी प्रभारी उपेंद्र यादव से मुलाकात के दौरान इस बात का प्रस्ताव रखा था कि संख्या के आधार पर सहयोगी दलों को मंत्रिपरिषद में जगह मिलनी चाहिए मगर ऐसा नहीं हुआ.

नीतीश ने कहा कि वह चाहते थे कि बिहार में एनडीए के घटक दलों की संख्या आधार पर या फिर राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए के घटक दलों के संख्या के आधार पर मंत्री परिषद का बंटवारा होना चाहिए था. नीतीश ने कहा कि जेडीयू को सांकेतिक तौर पर एक मंत्री पद देना पार्टी के अन्य नेताओं को नागवार गुजरा. इसलिए पार्टी ने फैसला किया कि हमें एक भी मंत्री पद नहीं चाहिए.

हालांकि नीतीश ने बीजेपी को खरी-खोटी सुनाते हुए यह भी कह दिया कि मोदी मंत्रिमंडल में सम्मानजनक संख्या नहीं मिलने से वह निराश हताश नहीं है बल्कि उनकी पार्टी बीजेपी के साथ खड़ी है.

बीजेपी से नाराज नीतीश ने यह भी ऐलान कर दिया कि भविष्य में अगर नरेंद्र मोदी कैबिनेट का विस्तार होता है और उनकी पार्टी को मंत्रिमंडल में शामिल होने का न्योता मिलता है, तो भी उनकी पार्टी इसमें शामिल नहीं होगी. बात साफ है कि नीतीश ने साफ संकेत दे दिए हैं कि सरकार के शुरुआत में मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से वे आहत हैं और भविष्य में अगर जदयू को मोदी सरकार में शामिल होने का मौका मिलता है तो भी वह ऐसा नहीं करेंगे.

बीजेपी पर हमला करते हुए नीतीश कुमार बार-बार तंज भी करते रहे और कहा कि इस बार उन्हें प्रचंड बहुमत मिला है इसीलिए वह जो चाहे वह फैसला कर सकते हैं.

नीतीश कुमार ने कहा, ''हमें सांकेतिक प्रतिनिधित्व की जरूरत नहीं है. जब मुझसे कहा गया कि एक मंत्री जेडीयू को दिया जाएगा तो मैंने कहा कि हमें नहीं चाहिए. लेकिन मैं इस बारे में अपनी पार्टी के सदस्यों से बातचीत करूंगा. जब हम साथ हैं तो हमें किसी भी तरह की सांकेतिक हिस्सेदारी की जरूरत नहीं है. हम बीजेपी से नाराज नहीं हैं.

इससे पहले जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा था कि मोदी मंत्रिमंडल में शामिल न होने के पीछे की वजह नाराजगी नहीं है. इस मामले में अमित शाह से बातचीत हो रही है. बातचीत के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा.

केसी त्यागी ने कहा कि ज्यादा मंत्री पद की मांग पर अड़ने की बात गलत है. 28 मई को नीतीश कुमार दिल्ली आए थे उसके बाद उन्होंने अमित शाह से बातचीत की. उन्होंने कहा कि हमने सभी सहयोगी पार्टियों का प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व तय किया है. 28 मई को नीतीश कुमार ने इससे असहमति जताई कि जेडीयू प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व के लिए तैयार नहीं है.

केसी त्यागी ने कहा, यह फैसला नीतीश कुमार ने पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों से बातचीत और पार्टी की संसदीय समिति से बातचीत के बाद लिया. जितने भी पार्टी प्रतिनिधि दिल्ली में थे, सबने कहा कि प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व के लिए पार्टी तैयार नहीं है. न नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह का नाम दिया, न ही कुशवाहा का, न ही ललन सिंह का. जब हम प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व के लिए तैयार नहीं हैं, तो किसी का नाम सुझाने का सवाल ही नहीं. मीडिया में चल रहीं सभी खबरें गलत हैं.

बता दें नरेंद्र मोदी के शपथग्रहण से पहले ही बीजेपी के साथ जेडीयू की तकरार सामने आई थी. दरअसल, इस बार मोदी सरकार में जेडीयू ने कोई भी मंत्री पद नहीं लिया है. जिसके बाद जनता दल यूनाइटेड (JDU) के नेता केसी त्यागी का कहना है कि इसका असर बिहार विधानसभा चुनाव पर देखने को मिलेगा.

दरअसल, जेडीयू की मांग थी कि उनके कोटे से तीन मंत्री होने चाहिए, लेकिन बीजेपी की तरफ से उन्हें 1 ही मंत्री पद ऑफर किया गया. नीतीश कुमार चाहते थे कि आरसीपी सिंह और लल्लन सिंह को केंद्रीय मंत्री बनाया जाए और संतोष कुशवाहा को राज्यमंत्री का दर्जा मिले. नीतीश कुमार अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर जातिगत समीकरण बैठाने की कोशिश में लगे हैं. लेकिन ऐसा हो नहीं सका.

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