केवल विजयदशमी के दिन यहां लगता है माता का दरबार, होती है विशेष पूजा

रायपुर
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजधानी रायपुर (Raipur) में एक ऐसा मंदिर है जो केवल दशहरे (Dussehra 2019) के दिन खुलती है. साल में एक बार ही यहां माता का दरबार लगता है. हम बात कर रहे हैं रायपुर के ब्राम्हणपारा स्थित कंकाली मठ का. मंगलवार को इस मठ के पठ खुले. पारपंरिक मान्यताओं के अनुसार शस्त्र पूजा के बाद पट श्रद्धालुओं के लिए खोला गया. पट खुलते ही मठ में लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है. इस दिन कंकाली माता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसी मान्यता है कि माता केवल एक दिन के लिए इस मंदिर में आती हैं. सालों से लोग पूजा की ये परंपरा मानते आ रहे हैं.

रायपुर में दशहरे के दिन एक बार फिर कंकाली माता का दरबार सजाया गया. सबसे पहले यहां प्रमुख महंत द्वारा माता कंकाली की विशेष पूजा-अर्चना के बाद शस्त्रों की खास तरीके से पूजा की गई. ऐसी मान्यता है कि नवरात्री के बाद विजयादशमी के दिन एक दिन के लिए कंकाली माता इस मठ में आती हैं. तकरीबन चार सौ साल पहले इस परंपरा की शुरूआत की गई थी.

जब कंकाली माता इस मठ में विराजती थी और उसी समय महंत कृपालु गिरी महाराज के सपने में देवी ने दर्शन दिए और तालाब खुदवाने के साथ मंदिर बनाने के निर्देश दिए. इसके बाद कृपालु गिरी ने मंदिर का निर्माण कराया और माता उस मंदिर में चली गई. लेकिन जाते समय ये विजयादशमी के दिन इस मठ में वापस आने का आश्वासन भी माता ने महंत को दिया और उसी दिन से एक दिन के लिए इस मठ में आती है. इसी दिन मठ के पट को खोला जाता है. साथ ही माता के अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की जाती है, क्योंकि माता इस दिन अपने सारे अस्त्र-शस्त्रों के साथ विराजती हैं. मठ की मान्यताओं को देखते हुए हर साल यहां लोगों की भीड़ लगती है. आम और खास सभी वर्ग के लोग कंकाली मठ पहुंचकर दर्शन करते हैं.

लोगों का मानना है कि बरसों से मठ में आने वाले लोगों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. साल में एक बार सजने वाले माता के इस दरबार में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. मंदिर में आए श्रद्धालुओं का कहना है कि यहां मांगी गई सारी मुरादें पुरी होती है. इस वजह से हर साल वे यहां आते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *