केंद्र सरकार को झटका, असम पैनल के अध्यक्ष ने दिया इस्तीफा

गुवाहाटी 
केंद्र सरकार ने 1985 के असम समझौते को लागू करवाने के लिए जिस नौ सदस्यीय कमिटी का गठन किया था, उसके चेयरमैन ने पैनल ही छोड़ दिया। कमिटी के चेयरमैन एमपी बेजबरुआ बेजबरुआ पांचवें ऐसे सदस्य हैं जो अब तक इस कमिटी को छोड़ चुके हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस कमिटी की नियुक्ति समझौते के 6वें क्लॉज की समीक्षा के लिए की थी। 

बता दें कि असम समझौते का क्लॉज 6 यह सुनिश्चित करता है कि 'असम के नागरिकों की विरासत, सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषाई पहचान की संवैधानिक, विधायी और प्रशासनिक आधार पर रक्षा और संरक्षा की जाएगी।' 

पूर्व केंद्रीय पर्यटन सचिव रह चुके बेजरुआ ने कमिटी छोड़ने के अपने फैसले पर कहा, 'मैंने इस्तीफा नहीं दिया है, बल्कि मंत्रालय को एक पत्र लिखा है कि जब कमिटी के सदस्य सक्रिय नहीं हैं और इसमें हिस्सा नहीं ले रहे हैं तो ऐसे में बतौर अध्यक्ष मेरे पद का कोई महत्व नहीं रह जाता है।' 

उल्फा ने नागरिकता विधेयक पर शांति वार्ता से हटने की धमकी दी 
इस बीच यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के वार्ता समर्थक गुट ने शनिवार को धमकी दी कि यदि विवादास्पद नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद से पारित कराया जाता है तो वह केंद्र के साथ चल रही शांति वार्ता से हट जाएगा। उल्फा के प्रमुख नेता मृणाल हजारिका ने कहा कि यदि केंद्र नागरिकता विधेयक पर आगे बढ़ता है तो मौजूदा शांति वार्ता पर विराम लगने की संभावना है। इस विधेयक के खिलाफ असम में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। समाज के सभी वर्ग इस प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे हैं। 

इस विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न की वजह से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ गए हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। उल्फा महासचिव अनूप चेतिया ने दावा किया कि संसद से इस विधेयक को पारित कराने की कोशिश की वजह से राज्य के युवक हथियार उठाने के लिए मजबूर हुए। 

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