किसानों के कायाकल्प के लिए अध्यादेश को मंजूरी

नई दिल्ली
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने किसानों, व्यापारियों को कृषि उपज बेचने और खरीदने की आजादी देने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि मोदी सरकार ने खेती-किसानी के कायापलट करने की ठान ली है और यह अध्यादेश इसी दिशा में बढ़ाया गया एक कदम है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'यह अध्यादेश किसानों को अपने उत्पाद बेचने की आजादी के साथ-साथ उन्हें लाइसेंस राज और कृषि उत्पादों को मंडी में ले जाने की बाध्यता से मुक्ति दिलाएगा।'

'खत्म होंगे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अड़ेंगे'
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि विभिन्न राज्यों के अलग-अलग कृषि कानूनों के कारण अंतरराष्ट्रीय व्यापार में जो अड़ंगे लगते हैं, वो सब खत्म हो जाएंगे। उन्होंने कहा, 'यह अध्यादेश ई-प्लैटफॉर्म के जरिए सुविधाजनक व्यापार का आधारभूत ढांचा तैयार करने, सप्लाइ चेन को मजबूती प्रदान करने, कृषि के क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के साथ-साथ किसानों की आय में वृद्धि और एक देश, एक बाजार सुनिश्चित करने में बड़ी भूमिका निभाएगा।'

सामूहिक खेती के लिए बनेंगे 10 हजार FPO
तोमर ने कहा कि देश में कृषि क्षेत्र के तेज विकास के लिए सामूहिक खेती पर जोर देना होगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए 10 हजार नए FPO (Farmer producer organisation यानी किसान उत्पादक संगठन) बनाने का कार्यक्रम शुरू किया गया है। इससे किसानों की खरीद क्षमता और उत्पादन क्षमता बढ़ेगी, साथ ही वो कम लागत में अपनी उत्पाकता बढ़ा सकेंगे और अपने उत्पादों को सामूहिक तौर पर बेच सकेंगे। इस पर करीब 6,866 करोड़ रुपये खर्च होंगे। कृषि के क्षेत्र में सरकार की तरफ से एक बड़ा निवेश है। उन्होंने कहा, 'कंपनी ऐक्ट में बने, कॉर्पोरेट ऐक्ट में एफपीओ बनें, लेकिन बनें।'

ऐसे मिलेगी APMC ऐक्ट से मुक्ति
तोमर ने कहा कि किसानों को उनके उत्पादों के बेचने पर लगे प्रतिबंध से मुक्त किया जा रहा है। मंडियां रहेंगी, राज्य का एपीएमसी (ऐग्रिकल्चर प्रॉड्यूस मार्केट कमिटी) ऐक्ट भी रहेगा, लेकिन एपीएमसी के दायरे से बाहर जो भी क्षेत्र है, वहां किसानों को मर्जी के दाम पर उत्पाद बेचने की छूट होगी, वह चाहे किसान का घर ही क्यों नहीं हो। कोई कंपनी, संस्था, प्रोसेसिंग इंडस्ट्री, एफपीओ, कोऑपरेटिव सेक्टर के समूह किसान के घर जाकर भी उचित मूल्य पर माल खरीद सकेगा।

कृषि मंडी के बाहर हर जगह ट्रेड एरिया
मंडी की परिधि के बाहर पूरा ट्रेड एरिया होगा, जहां पर खरीद-बिक्री हो सकती है। इस व्यापार पर किसी भी सरकार का कोई टैक्स नहीं होगा। किसी प्रकार का कोई कानूनी बंधन भी नहीं होगा। इससे किसानों को अपने उत्पाद, कब, कहां और किस दाम पर बेचे, इसकी आजादी होगी। आम तौर पर एक मंडी में ज्यादा से ज्यादा 25-30 लाइसेंसी होते हैं। लेकिन, अब कीमतों की प्रतिस्पर्धा में 30 की जगह 300 किसान आएंगे और जितनी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, उतना किसानों को फायदा होगा। इसमें कानूनी अड़चनों को दूर करने, इंस्पेक्टर राज की आशंका से बचने के लिए पैन कार्ड पर खरीद की अनुमति दी गई है।

ई-प्लैटफॉर्म बनाने की छूट
कोई भी व्यक्ति ई-प्लैटफॉर्म बना सकता है। उसके नियम केंद्र सरकार बनाएगी और उसका हिसाब-किताब भी रखेगी। अगर कोई ई-प्लैटफॉर्म कोई धोखाधड़ी करेगा तो उस पर केंद्र सरकार कार्रवाई करेगी।

ऐसे सुलझेंगे किसान-व्यापारी के बीच विवाद
अगर, किसान और व्यापारी के बीच में कोई विवाद की स्थिति पैदा होती है तो तत्काल या तीन दिन में भुगतान करना ही होगा। उत्पाद की जिस दिन होगी, उस दिन खरीदार यानी व्यापारी को एक पर्ची बनाकर देना होगा कि माल पहुंच गया और तीसरे दिन पैसे का भुगतान हो जाएगा। बावजूद इसके कोई विवाद होता है तो उसे न्यायालय के बाहर ही निपटाया जाएगा। व्यवस्था बनाई गई है कि पहली शिकायत एसडीएम के पास जाएगी, वो सुलह कराने के लिए कुछ लोगों को नियुक्त करेगा। सुलह नहीं होगी तो एसडीएम सुनवाई करेगा और 30 दिन के अंदर फैसला देगा। अगर कोई एसडीएम के फैसले से संतुष्ट नहीं होगा तो वह कलेक्टर के पास शिकायत कर सकता है। कलेक्टर उसकी सुनवाई करके फैसला देगा।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि इस वर्ष खाद सब्सिडी के रूप में 80 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। साथ ही, खेती के आधारभूत ढांचा निर्माण के लिए 1 लाख करोड़ रुपये भी आवंटित किए गए हैं।

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