किसानों की अनोखी पहल : शहर की गलियों को सेनिटाइज करने के लिए आए आगे, पैसे लेने से भी किया इंकार

 आगरा 
इतिहास गवाह है,जब भी संकट आया है किसानों ने अपनी दरातियां पिघलाकर तलवारें बनाई हैं। इसी कड़ी में किसान खलिहान छोड़कर कोरोना की लड़ाई में कूद पड़े हैं। निस्वार्थ भाव से जान हथेली पर रखकर अपने ट्रैक्टरों से आगरा शहर की गली-गली को सैनेटाइज कर रहे हैं।
यूपी में सबसे अधिक कोरोना संक्रमित (अब तक 94) आगरा में पाए गए हैं। ऐसे में सरकारी महकमों ने पूरी ताकत झोंकी हुई है। शनिवार को जब जनपद के नौ ब्लाकों से 40 गांवों के किसान मोर्चे पर आए तो नजारा ही बदल गया। सांसद प्रो.एसपी सिंह बघेल के आह्वान पर आए किसानों के ट्रैक्टर 500 से 1000 लीटर की पानी की टंकी के साथ स्प्रे मशीन से लैस थे। टंकियों में सोडियम हाईपोक्लोराइड का घोल मिलाया गया। और फिर ट्रैक्टर चालक दो-तीन किसानों के साथ छिड़काव करने निकल गए।

सेनेटाइजेशन की गंभीरता को देखते हुए नगर निगम का एक कर्मचारी उनके साथ रहा। 67 ट्रैक्टरों का यह बेड़ा सबसे पहले हाट स्पाट घोषित इलाकों में गया। किसानों ने कहा कि यह सिलसिला थमेगा नहीं। जब तक पूरा शहर कवर नहीं हो जाता, ट्रैक्टर गांवों से आते रहेंगे। आलू की फसल में दवा का छिड़काव करने के लिए सभी किसानों के पास स्प्रे मशीन हैं। फसल कोल्ड स्टोर में पहुंच चुकी है। मशीन खाली हैं। ट्रैक्टर लेकर पहुंचे किसान डीजल भी अपना फूंक रहे हैं।

फायर टेंडर से अधिक कारगर ट्रैक्टर
ट्रैक्टर में लगी स्प्रे मशीन नगर निगम की स्प्रे गाड़ियों और फायर टेंडर से अधिक कारगर साबित हो रही हैं। किसान खेतों में पाइप के जरिये नोझल प्रेशर से दवा छिड़कते हैं, इसलिए मशीनों में 750 से 1000 मीटर तक पाइप लगा रहता है। यह व्यवस्था शहर की तंग गलियों के लिए बेहद मुफीद है। ट्रैक्टर बाहर खड़ा रहता है, कर्मचारी पाइप लेकर गलियों के अंदर तक आसानी से स्प्रे कर देते हैं।  

सेमरा के रहने वाले अनिल कुमार का कहना है कि शहरों में रह रहे लोग भी हमारे भाई हैं। प्रशासन कोरोना से लड़ने के लिए पूरी ताकत लगा रहा है। अब हम भी तो घर में बैठकर लोगों को कोरोना से मरते नहीं देख सकते हैं। भाई अब तो निकल पड़े हैं कोरोना को खत्म करके ही मानेंगे। उस्मानपुर अशोक कुमार का मनाना है कि यह अच्छी पहल है। हमारे किसान भाई एक साथ निकले हैं। हम जानते हैं कि यह बीमारी आज शहर को गिरफ्त में लेगी तो कल गांव भी इसकी चपेट में आएंगे। इसलिए इस कोरोना को शहर में मार देना है ताकि यह गांवों तक नहीं पहुंचे।

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