कितने नक्सली मारे गए, पुलिस और माओवादियों के अलग-अलग दावे
रायपुर/सुकमा
छत्तीसगढ़ के सुकमा के मिनपा में बीते 21 मार्च की दोपहर को सुरक्षा बल के जवानों और नक्सलियों के बीच जबरदस्त मुठभेड़ हुई थी. इस मुठभेड़ के बाद लापता 17 जवानों का शव दूसरे दिन 22 मार्च को बरामद किया गया था. 17 में से 12 डीआरजी और 5 एसटीएफ के जवान शहीद हुए थे. इसके बाद प्रदेश के पुलिस मुखिया डीएम अवस्थी ने कहा था कि मुठभेड़ में कई नक्सली भी मारे गए हैं और नक्सली घायल भी हुए हैं. मारे गए और घायल नक्सलियों के नाम जल्द ही पुलिस उजागर करेगी. 23 मार्च को सुकमा जिला मुख्यालय की पुलिस लाइन में शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई.
24 मार्च को बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने एक विस्तृत प्रेस नोट जारी किया. इसमें आईजी सुंदरराज ने बताया सुकमा के चिंतागुफा-बुरकापाल क्षेत्रांतर्गत मिनपा-एलमागुड़ा-कोराजडोंगरी के जंगलों में सीपीआई माओवादी नक्सलियों की उपस्थिति की जानकारी होने पर चिंतागुफा एवं बुरकापाल कैम्प से डीआरजी, एसटीएफ और कोबरा की संयुक्त बल नक्सल अभियान के लिए रवाना हुई. 21 मार्च को दोपहर लगभग डेढ़ बजे कोराजडोंगरी पहाड़ एवं मिनपा जंगल के पास सुरक्षाबलों एवं नक्सलियों के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई0 कोराजडोंगरी पहाड़ के पास हुई करीब 40 मिनट की मुठभेड़ में करीब 6 नक्सली जख्मी हुए जिन्हें माओवादी द्वारा कव्हरिंग फायर देते हुये अपने साथ ले गए.
आईजी सुंदरराज ने बताया कि इस दौरान मिनपा जंगल के पास बुरकापाल डीआरजी और एसटीएफ की टीम व माओवादियों के बीच में दोपहर लगभग 1.45 से लेकर 3 बजे के बीच में बुरकापाल में मुठभेड़ हुई. इसमें कम से कम 8 माओवादियों को मार गिराया, लेकिन लगातार गोलीबारी होने से माओवादियों का शव व हथियार बरामद तत्काल नहीं की गई. माओवादियों वारा अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए दुलेड़ जंगल के तरफ से अन्य नक्सली टीम मिनपा पहुंचे. इस परिस्थिति को देखते हुए चिंतागुफा डीआरजी व एसटीएफ कोराजडोंगरी से आगे बढ़कर मिनपा के जंगल में बुरकापाल के पास पहुंची.
सुंदरराज के मुताबिक यहां नक्सलियों से लगभग 3 घण्टे तक आर-पार की लड़ाई लड़ी गई. इस बीच डीआरजी और एसटीएफ के कुछ जवानों को माओवादियों के गोली व ग्रेनेड लगने से घायल हो गये. इसके बावजूद भी जवानों द्वारा लड़ाई को निर्णायक मोड़ तक ले जाने के उद्देश्य से घायल व बाकी साथियों द्वारा नक्सलियों से मात्र 20-25 मीटर की दूरी में पहुंचकर कई माओवादियों को मार गिराया गया. घायल जवानों द्वारा अपने जान की परवाह न करते हुये उच्चतम वीरता का परिचय देते हुए एकदम नक्सलियों के लोकेशन तक पहुंच कर और कई माओवादियों को मौत के घाट उतारे. मुठभेड़ में 15 जवान घायल हो गए, जिन्हें ईलाज के लिए रायपुर भेजा गया. अन्य 17 डीआरजी और एसटीएफ के जवानों जो नक्सलियों के चक्रव्यूह तक पहुंचकर उन्हें पीछे खदेड़ने में अपने हथियार के अंतिम गोली तक लड़ते हुये वीरगति को प्राप्त हुए.
बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने दावा किया कि विगत वर्षों में यह पहला अवसर है कि जिसमें सुरक्षाबल-माओवादियों के बीच आमने-सामने की युद्ध जैसी परिस्थिति में मुठभेड़ हुई. अभी तक विभिन्न सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार माओवादियों के बटालियन नं. 01, सीआरसी कंपनी एवं पीएलजीए प्लाटून के कम से कम 15 से अधिक माओवादी मारे जाने और 20 से अधिक माओवादी गंभीर रूप से घायल होने की जानकारी प्राप्त हो रही है, जिन्हें तस्दीक किया जा हरा है. जिनका नाम विवरण सार्वजनिक किया जायेगा.