किडनी ट्रांसप्लांट के बाद भाइयों ने जीता गोल्ड

बेंगलुरु
कर्नाटक में बड़ी बीमारियों को अपनी हिम्मत के बल पर हराने वाले दो भाइयों ने इस बार यूके में खुद की काबिलियत के बल पर वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स में गोल्ड मेडल जीता है। बेंगलुरु में रहने वाले डॉ. अर्जुन श्रीवत्स और उनके भाई अनिल श्रीवत्स ने दो अलग-अलग खेलों में मेडल्स जीतकर देश का नाम रोशन किया है। वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स में इस साल 60 से अधिक देशों के लोगों ने हिस्सा लिया था।
यूके में आयोजित हुए इन गेम्स में इस साल भारत ने 4 गोल्ड और 3 सिल्वर मेडल जीते हैं। इन गेम्स में ऑर्गन डोनेट या रिसीव करने वाले 2200 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था। इस दौरान अर्जुन ने रिसीवर कैटिगरी में गोल्ड मेडल हासिल किया, वहीं उनके भाई अनिल को डोनर्स की कैटिगरी में गोल्ड मेडल मिला। अनिल ने साल 2014 में अपने भाई अर्जुन को अपनी एक किडनी डोनेट की थी, जिसके बाद दोनों ने एक साथ इन गेम्स में हिस्सा लिया। अर्जुन के अलावा भोपाल निवासी अंकिता श्रीवास्तव ने भी इस बार दो गोल्ड मेडल जीते।

अंगदान के प्रति जागरूक करना लक्ष्य
डॉ. अर्जुन ने बताया कि इन गेम्स में तमाम देश अपनी सरकारों की ओर से यहां आए थे, लेकिन चूंकि भारत सरकार ने सीधे तौर पर इनमें हिस्सा नहीं लिया था इसलिए सभी खिलाड़ी अपने संसाधनों से यहां पहुंचे थे। खेलों का आयोजन अंगदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए किया गया था। इसके साथ ही आयोजक लोगों के बीच यह भी साबित कराना चाहते थे कि अंगदान करने या किसी भी अंग के ट्रांसप्लांट होने की स्थिति में हमारी आम जिंदगी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। अर्जुन ने बताया कि भारतीय खिलाड़ियों के दल का प्रबंधन बेंगलुरु निवासी रीना कर रही हैं, जो कि ऐसी पहली भारतीय महिला हैं जिन्होंने दो बार अपने हार्ट का ट्रांसप्लांट कराया है।

एनजीओ की मदद से पहुंचे खिलाड़ी
रीना राजू ने इस प्रतियोगिता में गए भारतीय दल के बारे में बताया कि उन्होंने अपने एनजीओ की मदद से इस पूरी टीम का प्रबंधन किया। रीना ने कहा कि हमारी कोशिश थी कि सभी खिलाड़ियों को इस प्रतियोगिता के लिए अच्छे तरीके से हर रूप में तैयार किया जाए, जिसके लिए सभी ने मिलकर काम किया। हमने प्रतियोगिता में आने वाले सभी 14 प्रतिभागियों के कई टेस्ट कराया और उन्हें बेहतर ढंग से गाइड किया जिससे कि वह अच्छे तरीके से इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जा सकें।

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