कांग्रेस विधायक बनेंगे कालेज अध्यक्ष, भाजपा संसद नहीं चढ़ पाएंगे सीढ़ियां

भोपाल 
उच्च शिक्षा विभाग के 516 कालेजों में से कई कांग्रेस विधायकों को जनभागीदारी समिति का अध्यक्ष बनाया जाएगा, लेकिन अध्यक्ष की कुर्सी पर संसद को नहीं बैठाया जाएगा। क्योंकि राज्य में विधानसभा में कांग्रेस की सरकार काबिज है। इसलिए कांग्रेस विधायक और उनके प्रतिनिधि को अध्यक्ष बनाया जाएगा। जबकि राज्य में सिर्फ एक छोड़ सभी 28 सीटें बीजेपी के खाते में जमा हैं। इसलिए अध्यक्ष के लिए संसद और उनके प्रतिनिधि को भी मौका नहीं मिलेगा। वहीं विभाग बीएसपी, सपा और निर्दलीय विधायकों को भी कालेज सुधारने का चांस दे सकता है।

सूबे में कांग्रेस के 114, भाजपा के 109, निर्दलीय चार, बसपा दो और सपा का एक विधायक है। कांग्रेस भाजपा छोड़ सभी दलों से हाथ मिलाकर सरकार बनाए बैठी है। इसलिए वे अपने विधायकों केसाथ साथी विधायकों को कालेजों की जिम्मेदारी देने पर विचार कर रही है, लेकिन राज्य सरकार संसद या उनके प्रतिनिधि को कालेज की तरफ रुख तक नहीं करने देगी। क्योंकि प्रदेश की 29 संसद सीटों पर महज मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ छिंदवाड़ा से एमपी हैं। जबकि शेष सीटों पर भाजपाई कब्जा किए हुए हैं। दोनों पार्टियों में टकराव होने के कारण भाजपा संसद को कालेजों में अध्यक्ष के साथ कोई भी पद नहीं मिल पाएगा। कालेजों में जनप्रतिनिधियों की अहम भूमिका होती है, जिसमें कांग्रेस सरकार कालेजों में अपनी भागीदारी बढ़ाने करीब डेढ़ हजार कांग्रेसी नेताओं को जनभागीदारी समितियों में शामिल करेगी। विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेशभर के कालेजों की जनभागीदारी समतियां भंग दी गई थीं। वहीं अध्यक्ष के तौर पर स्नातक डिग्रीधारी को ही मौका मिलेगा। 

समिति में होंगे दस सदस्य
समिति में दस सदस्यों से मिलकर बनती हैं। इसमें प्राचार्य सचिव होता है। जबकि अध्यक्ष के रूप में जनप्रतिनिधि के रूप में विधायक व सांसद के साथ जिला पंचायत, जनपद पंचायत सदस्य की नियुक्त होती है। उपाध्यक्ष के तौर पर कलेक्टर प्रतिनिधि को शामिल किया जाएगा। इसके साथ सांसद और विधायक के एक-एक प्रतिनिधि को शामिल किया जाता है। बिजनेसमेन, पूर्व छात्रों के दो-दो अभिभावक और एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग से एक-एक अभिभावक, महिला अभिभावक और यूजीसी से मनोनीत सदस्य को शामिल किया जाता है।

नियुक्तियों हुई थीं निरस्त
उच्च शिक्षा विभाग ने कांग्रेस सरकार के अस्तित्व में आते ही पिछली भाजपा सरकार द्वारा नियुक्त की गई समितियों को निरस्त कर दिया है। उनकी निरस्त होते ही कालेजों की जनभागीदारी समितियों में जिले के कलेक्टर को अध्यक्ष के रूप में नियुक्त हो जाते हैं, जो अभी तक बने हुए हैं। वे जब तक अध्यक्ष रहेंगे जब विभाग नई समितियों का गठन नहीं कर देती। 
 

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