कांग्रेस में महापौर दावेदारों के नाम ही नाम

रायपुर
नगरीय निकाय चुनाव वैसे तो पूरे प्रदेश में हो रहे हैं लेकिन राजधानी का प्रथम नागरिक चुना जाना अपने आप में मायने रखता है। राजनीतिक कद की बात करें तो चार विधानसभा का एक साथ वे नेतृत्वकर्ता होते हैं। पिछले दस साल से निगम की सत्ता कांग्रेस के पास है भले ही राज्य में भाजपा की सरकार रही। लेकिन अब परिस्थितियां भिन्न है, राज्य में पन्द्रह साल बाद कांग्रेस की सरकार आई है,माहौल को वे अनुकूल मान रहे हैं शायद इसीलिए इस बार कांग्रेस से महापौर का चुनाव लडऩे वाले दावेदारों की बाढ़ आ गई है, लेकिन मूलभूत समस्याओं से जुड़ी शहरी सत्ता में दस साल के बाद क्या कांग्रेस की वापसी हो पायेगी यह बढ़ा सवाल उठने लगा है। इसलिए कांग्रेस पुरानों को किनारे कर किसी नए चेहरे पर दांव लगा सकती है।

यदि चेहरों की बात करें तो पहला दावा वर्तमान महापौर प्रमोद दुबे कर रहे हैं, हालांकि पार्टी ने उन्हे लोकसभा का चुनाव लड़ाया था और मोदी लहर में उनकी करारी हार हुई थी। यह उनके लिए माइनस पाइंट बन सकता है। दूसरे नंबर पर पूर्व महापौर किरणमयी नायक की दावेदारी है,हालांकि किसी वजनदार निगम मंडल में उन्हे जगह दिए जाने की भी बात आ रही है। यदि नए चेहरों की बात करें तो साफ सुथरी छवि के साथ डा.राकेश गुप्ता का नाम है। चिकित्सा छात्रसंघ की राजनीति से लेकर रमन सरकार के घपलों-घोटालों को उजागर करने में भी आगे रहे हैं। जातिगत फैक्टर पर पूर्व विधायक रमेश वल्यार्नी,दौलत रोहरा व आनंद कुकरेजा का नाम आ रहा है। अल्पसंख्यक कोटे से एजाज ढेबर भी ताल ठोंक रहे हैं।

भिलाई की तर्ज पर विकास उपाध्याय को लड़ाने की बात आ रही तो विधायक जुनेजा अपनी पत्नी का नाम आगे बढ़ा रहे हैं,लेकिन पार्टी हलकों में इन दोनों नामों पर दबी जुबान विरोध भी उभर रहे हैं। पूर्व पार्षद व छत्तीसगढ़ ब्राम्हण समाज के नेता ज्ञानेश शर्मा का नाम भी कृषि मंत्री के कोटे से आ रहा है। अन्य नामों में पंकज शर्मा,श्रीकुमार मेमन भी है इस लिहाज से देखें तो नाम ही नाम हैं,जिसे फाइनल करने में काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। जहां जीत की चुनौती और निगम के तख्त की ताज को बचाना पार्टी के साथ उस चेहरे की जिम्मेदारी होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *