कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष चुनने की तैयारी, कई मंत्रियों ने पैर पीछे खींचे!

भोपाल

 सोनिया गांधी के कमान संभालते ही कांग्रेस में हलचल तेज हो गई।खबर है कि सोनिया जल्द ही पार्टी संगठन में कुछ बड़े बदलाव करते हुए 'एक व्यक्ति एक पद' के सिद्धांत को लागू कर सकती हैं। इस मुद्दे पर सोनिया गांधी ने रणनीतिकारों से चर्चा की है।खास बात ये है कि प्रदेश अध्यक्ष के लिए भी यह फार्मूला लागू करने की तैयारी है, जिसके तहत यदि किसी मंत्री को प्रदेश अध्यक्ष अध्यक्ष बनाया गया तो उसे एक व्यक्ति-एक पद सिद्धांत के चलते मंत्री पद से इस्तीफा देना होगा।इस फार्मूले की आहट से ही कई मंत्रियों ने पैर पीछे खींच लिए है।

दरअसल, प्रदेश अध्यक्ष को लेकर इसी महीने फैसला होने की संभावना है।हाल ही में हाईकमान ने प्रभारी महासचिव दीपक बाबरिया को नेताओं से मुलाकात करने के लिए भोपाल भेजा था और संगठन की स्थिति की रिपोर्ट ली थी।रिपोर्ट सोनिया गांधी के पास पहुंच चुकी है, माना जा रहा है कि जल्द ही नए प्रदेशाध्यक्ष का ऐलान हो सकता है।सुत्रों की माने तो अध्यक्ष की दौड़ में कमलनाथ सरकार के कुछ मंत्रियों के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन के नाम चर्चा शामिल हुए है।हालांकि मंत्री संगठन प्रमुख बनने के इच्छुक नहीं हैं, क्योंकि उस परिस्थिति में उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ेगा। ऐसे में किसी अन्य को कमान सौंपने की तैयारी है।

इधर, मुख्यमंत्री कमलनाथ ऐसे नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनने नहीं देना चाहते, जिससे उन्हें सरकार चलाने में दिक्कत महसूस हो।कमलनाथ की मंंशा है कि ऐसे व्यक्ति को अध्यक्ष बनाए जाए जो ना सिर्फ संगठन के बारे में समझ रखता हो बल्कि उसे मजबूत करने में भी महत्वपूर्व भूमिका निभाए।वही सिंधिया के महाराष्ट्र की कमान सौंपे जाने के बाद ये भी चर्चा है कि कमलनाथ के करीबी को कमान सौंपी जा सकती है। लेकिन समर्थकों सिंधिया को प्रदेश की कमान सौंपने पर अड़ गए है। हाल ही में कमलनाथ कैबिनेट मंत्री इमरती देवी ने यह मांग उठाई थी, वही कई समर्थक भी इसको लेकर दिल्ली तक आवाज बुलंद कर चुके है।हालांकि अंतिम फैसला हाईकमान को ही लेना है।

गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने कमलनाथ को पार्टी की कमान सौंपी थी। उनके नेतृत्व में कांग्रेस विधानसभा चुनाव में जीत कर सरकार बनाने मे कामयाब हुई। यह जीत इसलिए भी कांग्रेस के लिए अधिक महत्वपूर्ण थी क्योंकि उसे मध्य प्रदेश में बीते 15 साल से जीत का इंतजार था। हालांकि, कांग्रेस ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने का भी फैसला लिया। जिसके बाद उनके कंधों पर दोहरी जिम्मेदारी आ गई। प्रदेश अध्यक्ष के साथ साथ वह मुख्यमंत्री भी हैं। हाल ही में हुई लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद संगठन को लेकर सवाल उठने लगे थे, वही मुख्यमंत्री कमलनाथ के पीसीसी पद से इस्तीफा देने की बातें भी सामने आईं थी। लेकिन पार्टी ने उन्हें अभी पद पर रहने की सलाह दी थी। लेकिन आगामी चुनाव को देखते हुए फिर से कवायद शुरु हो गई है। इसके लिए रायशुमारी भी हो चुकी है, संभावना जताई जा रही है कि इसी महिने के अंत तक अध्यक्ष के नाम का ऐलान किया जा सकता है।

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