कांग्रेस ने AAP से नहीं किया गठबंधन, विधानसभा चुनावों पर है नजर

 
नई दिल्ली 

लोकसभा चुनावों में दिल्ली की 7 सीटों पर आम आदमी पार्टी से गठबंधन की संभावना को कांग्रेस ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है। लोकसभा चुनावों के साथ 2020 में होनेवाले दिल्ली विधानसभा और आगे अन्य राज्य चुनावों के लिहाज से यह संकेत अहम है। दिल्ली कांग्रेस चीफ शीला दीक्षित की आप और दिल्ली के सीएम केजरीवाल से नाराजगी कोई छुपी बात नहीं है। शीला दीक्षित को विधानसभा चुनावों में (2013) हराकर ही केजरीवाल दिल्ली की सत्ता पर पहली बार काबिज हुए थे। हालांकि, आम आदमी पार्टी के लिए भी ये 7 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस के साथ गठबंधन एक बहुत रिस्क वाला समझौता था।  
 
दिल्ली के साथ पंजाब में भी आम आदमी पार्टी को इस गठबंधन की कीमत चुकानी पड़ सकती थी। 1984 सिख दंगों से सर्वाधिक प्रभावित रहे इन दो राज्यों में आम आदमी पार्टी का राजनीतिक बेस मजबूत है। हालांकि, दिल्ली लोकसभा और विधानसभा में कांग्रेस की सीटों की संख्या 0 है, फिर भी कांग्रेस ने आप से गठबंधन में दिलचस्पी नहीं दिखाई। कांग्रेस के इस कदम के पीछे बड़े राजनीतिक संकेत हैं। 

कांग्रेस की राजनीतिक महत्वाकांक्षा में आप से गठबंधन बाधा 
आप के साथ गठबंधन में जाने का मतलब कांग्रेस के लिए था कि सीट शेयरिंग फॉर्म्युले पर काम किया जाए। दिल्ली में विधानसभा की 7 सीटें हैं और इस आधार पर 50:50 फॉर्म्युला काम नहीं कर सकता था। ऐसी परिस्थिति में किसी एक पार्टी को सीनियर पार्टनर के तौर पर अधिक सीटें मिलतीं। कांग्रेस किसी भी हाल में गठबंधन में जूनियर पार्टनर बनने के लिए तैयार नहीं थी। 

दूसरी तरफ कांग्रेस के पास खोने के लिए भी कुछ खास नहीं है क्योंकि लोकसभा और विधानसभा दोनों में ही उसकी शून्य सीटें हैं। आप के साथ गठबंधन का अर्थ कांग्रेस के लिए आनेवाले विधानसभा चुनावों में अपने अस्तित्व की भी लड़ाई है। कांग्रेस ने 20 साल में 15 साल यहां राज किया है और सत्ता में वापसी के लिए बेकरार है। 
 

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