कांग्रेस की जीत से घबराई बीजेपी ताई-भाई में कराएगी दोस्ती

इंदौर
विधान सभा चुनाव में इंदौर जैसे गढ़ में पार्टी की दुर्गति के बाद अब बीजेपी सबक लेती दिखाई दे रही है. टिकट बंटवारे में जिस तरह ताई और भाई में खींचतान हुई उसका खामियाजा पार्टी ने भुगता. इंदौर लोकसभा क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने चार जीत लीं. जबकि पिछली बार सिर्फ एक सीट उसे मिली थी. इस हार का सबक ये है कि पार्टी अब यहां ताई औऱ भाई के बीच सुलह कराने की रणनीति पर काम कर रही है.

बीजेपी ने कैलाश विजयवर्गीय के दाहिने हाथ माने जाने वाले बीजेपी विधायक रमेश मेंदौला को सुमित्रा महाजन को जिताने की जिम्मेदारी सौंपी है. कार्यकर्ताओ में ताई भाई की एकजुटता का संदेश देने का प्रयास शुरू कर दिया है.

विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर ताई और भाई की खींचतान जग जाहिर थी. ताई अपने समर्थकों को टिकट दिलाने पर अड़ी रहीं और उन्हें मनाने के लिए केन्द्रीय मंत्री नरेद्र सिंह तोमर और विनय सहस्त्रबुद्धे को आना पड़ा. उसके बाद चुनाव में ताई के पांच में से 4 कैंडीडेट चुनाव हार गए. लेकिन अब पार्टी किसी तरह का रिस्क लेने के मूड में नहीं है. इसलिए ताई के चुनाव मैनेजमेंट की जिम्मेदारी कैलाश विजयवर्गीय के खासमखास रमेश मेंदोला को दे दी गई है. पार्टी का मानना है इससे कार्यकर्ताओं में एकता का संदेश जाएगा. साथ ही मेंदोला जितने वोटों से चुनाव जीते उतनी लीड ताई को मिल जाएगी तो नैया यूं ही पार हो जाएगी.

हालांकि पार्टी के पास मेंदोला के अलावा दूसरा विकल्प महापौर मालिनी गौड़ का था,लेकिन उन्हें इसलिए जिम्मेदारी नहीं दी गई कि मालिनी गौड़ की एक तो ताई से पटरी नहीं बैठती दूसरा नगर निगम की तोडफ़ोड़ का असर वोट बैंक पर ना पड़े.

2014 के लोकसभा चुनाव में चार लाख से अधिक वोटों से जीतीं ताई नौंवी बार संसद पहुंचकर एक नया कीर्तिमान रचने की तैयारी में हैं. वहीं कांग्रेस उनके रिकॉर्ड को ध्वस्त करने की तैयारी में है. जिस तरह विधानसभा चुनाव में उसे लोकसभा क्षेत्र की आठ में से 4 सीटें मिलीं है उससे वो मुकाबले को बराबर का मान रही है. कांग्रेस का मानना है कि वचन पत्र के वादे पूरे करने का फायदा लोकसभा चुनाव में उसे मिलेगा.

अगर ताई को टिकट मिला और वो जीतीं तो वे देश की पहली महिला सांसद होंगी जो लगातार 9 बार संसद पहुंचेगीं. लेकिन ये इतिहास रचने के लिए उन्हें इंदौर के सभी गुटों ख़ासतौर से कैलाश विजयवर्गीय को साथ लेना होगा. हालांकि चर्चा ये भी है कि कैलाश विजयवर्गीय खुद चुनाव लड़ना चाहते हैं. ऐसी परिस्थिति से निपटने के लिए पार्टी ने रमेश मेंदौला का नया दांव चला है.

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