कल्याण सिंह: गवर्नर से हटते ही बाबरी के छींटे

लखनऊ
उत्‍तर प्रदेश के पूर्व सीएम कल्याण सिंह एक बार फिर कानूनी कार्रवाई की जद में आ सकते हैं। हाल ही में राजस्थान के राज्यपाल के तौर पर कार्यकाल खत्म होने के बाद बीजेपी में शामिल हुए कल्याण सिंह को बाबरी विध्वंस मामले में बतौर आरोपी फिर कोर्ट में पेश करने के लिए सीबीआई की विशेष अदालत में अर्जी दी गई है। इस मामले में कल्याण सिंह को अब तक संवैधानिक पद पर होने के कारण कानूनी कार्रवाई से छूट मिली थी।

कल्याण सिंह के अलावा इस केस में पूर्व प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी, पूर्व सीएम उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा एवं महंत नृत्यगोपाल दास भी आरोपी हैं, जिन्हें कोर्ट से जमानत मिली हुई है। 1992 में अयोध्या की बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आरोपी कल्याण सिंह को संविधान के अनुच्छेद 351 के तहत कानूनी कार्रवाई से छूट मिली थी।

२०१४ में बनाया गया था राज्यपाल
कल्याण सिंह को 3 सितंबर 2014 को राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया था। 5 साल तक पद पर होने के कारण कल्याण को अदालत की ओर से तलब नहीं किया गया। वहीं अन्य आरोपी नेताओं को कोर्ट में अपील के बाद इस केस में जमानत दे दी गई। अब कल्याण के वापस बीजेपी की सदस्यता लेने के बाद सीबीआई कोर्ट के विशेष जज की कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। केंद्रीय जांच एजेंसी की ओर से दायर याचिका में कल्याण को दोबारा कोर्ट में पेश कराने के लिए अनुमति मांगी गई है।

बाबरी विध्वंस के वक्त यूपी के सीएम थे कल्याण
माना जा रहा है कि सीबीआई के अपील स्वीकार करने की स्थिति में कल्याण सिंह को एक बार फिर कानूनी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। बता दें कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के समय कल्याण सिंह यूपी सरकार के मंत्री हैं। आरोप है कि सीएम रहते कल्याण ने राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में कहा था कि वह विवादित ढांचे को कोई नुकसान नहीं होने देंगे। लेकिन कार सेवा आयोजित होने के दौरान अयोध्या में मस्जिद को गिरा दिया गया था। इसके बाद सीएम कल्याण सिंह ने मामले की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

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