कर्नाटक ही नहीं कई राज्यों में लगातार विधायक खो रही कांग्रेस, जानें- क्यों है यह स्थिति

 
नई दिल्ली
 कर्नाटक में पिछले 13 महीने से चली आ रही गठबंधन सरकार शनिवार को 13 विधायकों के इस्तीफे के बाद से लड़खड़ाने लगी है। आशंका है कि सोमवार को कुछ और विधायक इस्तीफा दे सकते हैं और इससे सरकार गिर भी सकती है। इस्तीफा देने वालों में 10 विधायक कांग्रेस और 3 जेडीएस के शामिल हैं। हालांकि कांग्रेस के लिए यह स्थिति महज कर्नाटक में ही नहीं है। गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना से लेकर गोवा तक में कांग्रेस छोड़कर जाने वाले विधायकों की लंबी फेहरिस्त है। राज्यों में लंबे वक्त से सत्ता न होने और आगे भी जल्दी में कोई आस न दिखने पर विधायक पालाबदल में जुटे हैं। 

यदि कर्नाटक असैम्बली के स्पीकर इन 13 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लेते हैं तो 224 सीटों वाले सदन में कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों की संख्या 118 से घटकर 105 हो जाएगी। बीजेपी के पास भी सदन में 105 ही विधायक हैं। ऐसे में एक भी विधायक और अपने पद से इस्तीफा देता है तो बीजेपी सरकार बनाने का दावा कर सकती है। इस बीच कांग्रेस और जेडीएस ने बागी विधायकों को मंत्री पद तक का ऑफर दिया, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। अब यदि स्पीकर विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करते हैं तो सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा। यदि ऐसा नहीं होता है तो बीजेपी विधायकों के इस्तीफे न स्वीकार करने को कोर्ट में चुनौती दे सकती है। तीसरी संभावना यह है कि यदि विधायक इस्तीफे वापस लेने पर राजी होते हैं तो सूबे में कुछ नए मुख्यमंत्री देखने को मिल सकते हैं।

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कर्नाटक ही नहीं बल्कि कांग्रेस को अपने विधायकों को लेकर हर राज्य में समस्या का सामना करना पड़ रहा है। पिछले सप्ताह दो कांग्रेस विधायकों ने राज्यसभा सीटों के लिए वोटिंग के बाद इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले पिछले महीने तेलंगाना में पार्टी के 18 विधायकों में से 12 ने सत्तारूढ़ टीआरएस का दामन थाम लिया था। महाराष्ट्र में तो पार्टी के विधायक दल के राधाकृष्ण विखे पाटिल ने पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया और मंत्री बन गए। गोवा में तो मुख्य मंत्री प्रमोद सावंत की कैबिनेट के एक तिहाई मंत्री पूर्व में कांग्रेसी ही रहे हैं। यही नहीं सूबे में दो और विधायकों के इस्तीफा देने की खबरें हैं। ऐसा होता है तो गोवा में बीजेपी बहुमत की अनिश्चितता से पूरी तरह उबर जाएगी। 

इस बीच राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद पार्टी में पुरानी पीढ़ी और नई पीढ़ी के बीच नेतृत्व को लेकर संघर्ष छिड़ता दिख रहा है। रविवार को कांग्रेस के युवा नेताओं ज्योतिरादित्य सिंधिया और मिलिंद देवड़ा ने अपने पदों से इस्तीफे दे दिए। बता दें कि इससे एक दिन पहले ही पंजाब के सीएम और कद्दावर नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा था कि पार्टी का अध्यक्ष होना चाहिए। उनकी टिप्पणी से साफ संकेत था कि वह पार्टी में किसी वरिष्ठ नेता को जिम्मेदारी सौंपे जाने के पक्ष में नहीं हैं। 
 

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