करोड़ों रुपए के घटिया ट्रांसफार्मरों की पोल न खुले इसलिए सीरियल नंबरों की हेराफेरी

ग्वालियर
करोड़ों रुपए के घटिया विद्युत ट्रांसफार्मरों की सप्लाई का बड़ा घोटाला सामने आया है। इस पूरे घोटाले को भोपाल में जांच के दौरान पकड़ा गया है। घटिया ट्रांसफार्मरों के इस घोटाले से पर्दा न उठे इसके लिए ग्वालियर में बिजली कंपनी के अफसरों ने बड़ी चालाकी चली। जिन ट्रांसफामरों की जांच करने के आदेश भोपाल से आए उन नए ट्रांसफार्मरों के सीरियल नंबरों को दूसरे सीरियल नंबरों से बदल दिया गया।  

ट्रांसफार्मर जब भोपाल जांच के लिए पहुंचे तो दिए गए सीरियल नंबर से वह मैच नहीं हुए। लिहाजा ग्वालियर के दगाबाज बिजली अफसरों की यह चालाकी पकडी ली गई। इस भ्रष्टाचार के कारण बिजली कंपनी को कितना नुकसान हुआ है इसकी अब जांच की जा रही है।

मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के ग्वालियर स्टोर में चार फार्मो द्वारा करीब 250 ट्रांसफार्मरों की सप्लाई हुई है। इनमे श्रीराम ट्रांसफार्मर मेरठ, ट्राम्फो पवार इलेक्ट्रिकल्स, ओसवाल ट्रांसफार्मर प्रा.लि और इलेक्ट्रोटेक ट्रांसमीशन प्रा.लि के नाम शामिल है। सप्लाई किए गए ट्रांसफार्मर अलग-अलग पावर क्षमता के है। इन ट्रांसफार्मरों की हकीकत उजागर होने के बाद करीब 100 ट्रांसफार्मर संबधित फार्मो को वापस भी भेज दिए गए है। जबकि शेष ट्रांसफार्मर वापस भेजे जाने है।

इस पूरे मामले में बिजली कंपनी ने ग्वालियर के स्टोर मे पदस्थ सहायक प्रबंधक राहुल गौड़ की सिर्फ एक वेतन वृद्धि रोकने की कार्रवाई की है। जबकि सबसे छोटे कर्मचारी केपीओ के पद पर पदस्थ मनोज कुमार की सेवाएं समाप्त कर दी गई हंै। खास बात ये है कि जब ट्रांसफार्मर आते हैं और उनकी जांच होती है तो एसई से लेकर एई व अन्य अधिकारियों के भी हस्ताक्षर होते हैं, लेकिन इस मामले में और किसी पर भी कार्रवाई नहीं हुई है।

मैं इस मामले की तह तक जाऊंगा। अगर ऐसा हुआ है तो यह संभव नहीं कि सिर्फ केपीओ ही जिम्मेदार है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
विशेष गढ़पाले, एमडी मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी भोपाल

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