ओलंपिक के लिए खेल रत्न लेने नहीं आएंगे बजरंग

नई दिल्ली
राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में राष्ट्रपति के हाथों का देश का सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न ग्रहण करना हर खिलाड़ी का सपना होता है। विश्वनाथन आनंद, सचिन तेंदुलकर, अभिनव बिंद्रा, सुशील कुमार, विजेंदर सिंह, मैरी कॉम, विराट कोहली समेत कई दिग्गजों ने इस मौके को नहीं छोड़ा, लेकिन ओलंपिक क्वालिफाई करने के लिए पहलवान बजरंग ने अपने जीवन के इस अनमोल क्षण को त्यागने का फैसला कर अपना कद और ऊंचा कर लिया है।

यह सच्चाई है 16 अगस्त को राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड के लिए चुने गए बजरंग 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों खेल रत्न ग्रहण करने नहीं आ रहे हैं। उन्होंने सिर पर खड़ी ओलंपिक क्वालिफाइंग विश्व चैंपियनशिप की तैयारियों को वरीयता देते हुए इस भरे-पूरे समारोह को छोड़ बाद में सादगी से खेल मंत्री के हाथों खेल रत्न बनने का फैसला लिया है।

रूस में निजी कोच शाको के संरक्षण में नूर सुल्तान (कजाखस्तान) में 14 से 22 सितंबर को होने वाली विश्व चैंपियनशिप की तैयारियां कर रहे बजरंग ने अमर उजाला से खुलासा किया कि उनकी कोशिश है कि वह पहले ही प्रयास में टोकियो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई कर लें।

विश्व चैंपियनशिप ओलंपिक का पहला क्वालिफाइंग है और यहां पहले छह स्थान पर आने वाले पहलवानों को ओलंपिक टिकट मिलेगा। बजरंग का कहना है कि वह अवार्ड लेने आना चाहते थे, लेकिन फिर सोचा अवार्ड तो मिल ही गया है। अगर रूस से दिल्ली गया तो ट्रेनिंग बाधित होगी।

अवार्ड बाद में भी मिल जाएगा लेकिन विश्व चैंपियनशिप बाद में नहीं आएगी। वह विश्व चैंपियनशिप के बाद खेल मंत्री किरन रिजीजू केहाथों अवार्ड ले लेंगे। फिलहाल वह 12 सितंबर तक रूस में तैयारियां करेंगे और यहीं से 13 सितंबर को नूर सुल्तान के लिए रवाना होंगे। बजरंग साफ करते हैं कि वह विश्व चैंपियनशिप में अब तक कांस्य और रजत पदक जीत चुके हैं। इस बार वह 65 किलो में स्वर्ण का मौका नहीं चूकना चाहते हैं। हालांकि यह सब ड्रा पर निर्भर करेगा।

खेल मंत्रालय ने हाल ही में नियम बनाया है कि राष्ट्रपति के हाथों खेल रत्न या कोई भी राष्ट्रीय खेल पुरस्कार ग्रहण करने के लिए खुद मौजूद रहना होगा। गैरमौजूदगी में किसी रिश्तेदार को नहीं खड़ा किया जा सकता है। अंतिम बार महेंद्र सिंह धोनी को जब खेल रत्न दिया गया था तब वह भारतीय टीम के साथ खेलने में व्यस्त थे और खेल रत्न लेने नहीं आ पाए थे।

उस दौरान उनके पिता ने यह अवार्ड लिया था। तब से मंत्रालय ने फैसला लिया कि अवार्ड के लिए खिलाड़ी का खुद मौजूद रहना जरूरी है। यही कारण है कि बजरंग को बाद में सादे समारोह में खेल मंत्री के हाथों खेल रत्न दिया जाएगा। रविंद्र जडेजा भी वेस्टइंडीज के साथ टेस्ट श्रृंखला खेलने में व्यस्त हैं। वह भी अर्जुन अवार्ड लेने नहीं आ रहे हैं।

 

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