ऐतिहासिक स्‍तर पर बंद हुआ शेयर बाजार, सेंसेक्‍स 40,250 के पार

नई दिल्ली
चौथी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट में गिरावट, पिछले वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ रेट पांच साल के निचले स्तर पर आ जाने, बेरोजगारी दर 45 साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने और वाहनों की बिक्री घटने के बावजूद घरेलू शेयर बाजार के दोनों प्रमुख सूचकांकों, सेंसेक्स और निफ्टी ने रेकॉर्ड बनाया। सोमवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के 31 शेयरों का संवेदी सूचकांक निफ्टी 553 अंक यानी 1.39 प्रतिशत की तेजी के साथ 40,268 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक वक्त ऐसा आया जब सेंसेक्स 40,309 की नई ऊंचाई पर पहुंच गया था।

वहीं, निफ्टी ने 12,103 अंक का रेकॉर्ड स्तर पा लिया था। हालांकि, नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के 50 शेयरों का यह संवेदी सूचकांक 166 अंक यानी 1.39 प्रतिशत की तेजी के साथ 12,089 अंक पर बंद हुआ। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर तमाम नकारात्मक आंकड़ों के बावजूद निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार पर भरोसा क्यों जताया? आइए जानते हैं इसके चार प्रमुख कारण…

1. नीतिगत ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद
जीडीपी आंकड़ों में कमजोरी, वाहनों की बिक्री में गिरावट आदि की वजह से इस बात की उम्मीद बढ़ गई है कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की जारी बैठक में नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का फैसला लिया जाएगा। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने सोमवार को चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा को लेकर चर्चा शुरू कर दी है। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि एमपीसी नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती करेगी। इससे पिछली दो मौद्रिक नीति समीक्षा बैठकों में केंद्रीय बैंक ने रीपो रेट में 0.25-0.25 प्रतिशत की कटौती की है। रिजर्व बैंक ने कहा कि एमपीसी की बैठक 3, 4 और 6 जून, 2019 को होगी। 6 जून को वेबसाइट पर एमपीसी बैठक के प्रस्ताव को डाला जाएगा।

लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद यह रिजर्व बैंक की पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक है। कोटक महिंद्रा बैंक के प्रबंध निदेशक उदय कोटक ने कहा कि रिजर्व बैंक को अर्थव्यवस्था में सुस्ती के मद्देनजर ब्याज दरों में कटौती करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रमुख चुनौती नीतिगत दरों में कटौती को आगे बैंकों की जमा और लोन रेट्स में स्थानांतरित करने की होगी। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन जारी रखने के लिए रिजर्व बैंक को नीतिगत दरों में कटौती के सिलसिले को जारी रखना चाहिए। वहीं, इकनॉमिक टाइम्स के सर्वे में शामिल सभी 28 अर्थशास्त्रियों में तीन-चौथाई ने रीपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती का उम्मीद जताई।

2. ईरान को लेकर ट्रंप की चाल
ट्रंप प्रशासन ने जब कहा कि वह परमाणु कार्यक्रम को लेकर ईरान के साथ बिना शर्त बात करने को तैयार है। इस बयान के बाद सोमवार को कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत घट गई। फ्यूचर मार्केट में ब्रेंट क्रूड का भाव 1.50% टूटकर 61.06 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। वहीं, इंडियन बास्केट के क्रूड ऑइल के जून महीने के कॉन्ट्रैक्ट्स का भाव 86 रुपये या 2.28 प्रतिशत टूटकर 3,689 रुपये प्रति बैरल पर आ गिरा।

3. विदेशी पोर्टफोलियो निवेश बढ़ने की आस में चढ़ा रुपया
कच्चे तेल के भाव में बड़ी गिरावट से डॉलर के मुकाबले रुपया 40 पैसा मजबूत होकर 69.29 के स्तर पर आ गया। गौरतलब है कि रुपया अगर डॉलर के मुकाबले मजबूत होता है तो विदेशी निवेशकों के लिए डॉलर पर रिटर्न बढ़ जाता है। इसलिए, रुपया-डॉलर के एक्सचेंज रेट में अच्छी-खासी बढ़ोतरी के कारण उम्मीद जगी कि विदेशी निवेश में तेजी आएगी। आंकड़े बताते हैं कि भारतीय शेयरों में विदेशी संस्थागत निवेश मई महीने में 7,919 करोड़ रुपये पर आ गिरा जो अप्रैल महीने में 21,193 करोड़ रुपये और मार्च में 33,980 करोड़ रुपये के स्तर पर थे।

4. सरकारी खर्चों में तेजी की आस, बजट से उम्मीद
देश की आर्थिक गतिविधि मंद पड़ने के मद्देनजर सरकार से हस्तक्षेप की उम्मीद बढ़ गई है। सरकार की तरफ से खपत बढ़ाने के लिए उठाए जा रहे कदमों से ऐसा प्रतीत भी होता है। मोदी सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट मीटिंग में ही पीएम-किसान योजना का दायरा बढ़ा दिया और 6,000 रुपये सालाना के नकद सहयोग वाली इस योजना में सभी किसानों को समाहित कर लिया। इसके अलावा, 60 वर्ष की उम्र के बाद छोटे एवं सीमांत किसानों को कम-से-कम 3,000 रुपये प्रति माह पेंशन देने का प्रस्ताव पर भी मंजूर कर लिया गया। साथ ही, इतनी ही रकम की नई पेंशन स्कीम छोटे दुकानदारों, खुदरा व्यापारियों और स्वरोजगार में जुटे लोगों के लिए भी लागू कर दी गई है।

 

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