एसपी-बीएसपी गठबंधन की काट में ‘तुरुप’ का पत्ता खोज रही बीजेपी

लखनऊ 
यूपी में हुए एसपी-बीएसपी गठबंधन की काट के लिए बीजेपी 'तुरुप' का पत्ता तलाशने में जुट गई है। बीजेपी की कोशिश है कि एसपी-बीएसपी गठबंधन के जातीय आधार के गणित में घुसपैठ की जाए। वह जमीन पर खुद को मजबूत करने के साथ इस गठबंधन को 'अवसरवादी' और 'करप्ट' साबित करने का अभियान भी चलाएगी। इसकी पूरी रणनीति तैयार कर ली गई है। जल्दी ही यूपी के चुनावी समर में इसका असर दिखाई पड़ेगा। 

बीजेपी का पहला फोकस पिछड़ों और दलितों पर है। इस पर वह बीते कई महीने से काम कर रही है। बीजेपी ने डिप्टी सीएम केशव मौर्य की अगुआई में 21 पिछड़ा वर्ग के सम्मेलन किए थे। इसमें यादवों के साथ सभी जातियों को अलग-अलग बुलाकर उन्हें बीजेपी से जोड़ने की कोशिश की गई थी। बीजेपी के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ ने इन सभी जातियों का एक डेटा बैंक भी तैयार किया है, जिससे पार्टी के कार्यकर्ता लगातार संपर्क कर रहे हैं। इसके बाद बीजेपी अनुसूचित मोर्चे ने भी दलित सम्मेलन करने शुरू कर दिए हैं। कई दलित जातियों के लोगों को अलग-अलग लखनऊ में इकट्ठा करके उनसे बात की गई। इन सबसे भी लगातार संपर्क किया जा रहा है। बीजेपी ने अपने बूथ कार्यकर्ताओं की टीम का गठन भी इस तरह से किया है कि उसमें एक ओबीसी और एक दलित कार्यकर्ता को रखना अनिवार्य कर दिया गया है। इन सभी के बीच यह बताया जा रहा है कि बीजेपी की केंद्र और यूपी सरकार ने उनके लिए क्या किया है। 

बीजेपी की कोशिश एसपी-बीएसपी गठबंधन के बारे में पूरी धारणा बदलने की है। बीजेपी ने नेता अभी से प्रचार करने में जुट गए हैं कि यह गठबंधन पूरी तरह से अवसरवादी गठबंधन है। सोशल मीडिया पर बीजेपी के कार्यकर्ता फिल्मों और कार्टून के जरिए यह बताने में जुट गए हैं कि दोनों भ्रष्टाचार में फंसे होने की वजह से ही नजदीक आ रहे हैं। वह सपा और बीएसपी के नेताओं के पुराने भाषण और कोट निकालकर भी प्रचारित कर रहे हैं कि पहले वह एक दूसरे पर कैसे तंज कसते आए हैं। 

बीएसपी ज्यादातर लोकसभा प्रत्याशियों में बदलाव करने की तैयारी कर रही है। कहा जा रहा है कि 50 फीसदी से ज्यादा सांसदों के टिकट बदल दिए जाएंगे। इससे वह सांसदों की स्थानीय स्तर पर बनी 'ऐंटी इनकंबैंसी' को तोड़ सकेगी। इसके साथ ही हर सीट पर मजबूत और लोकप्रिय चेहरों को उतारने की भी तैयारी है। यूपी में सरकार के कई मंत्रियों से भी चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने को कहा गया है। कोशिश होगी कि अधिकांश सीटों पर पिछड़े और दलित वर्ग के नेताओं को ज्यादा से ज्यादा टिकट दिए जाएं। 

बीजेपी सरकार सवर्ण आरक्षण और तीन तलाक के बाद जल्दी ही राममंदिर, राष्ट्रवाद, हिंदुत्व जैसे किसी 'ट्रंप कार्ड' को भी सामने ला सकती है। इससे साथ ही वह किसानों, बेरोजगारों के लिए भी जल्दी ही कोई नई स्कीम सामने ला सकती है। बीजेपी की कोशिश जाति को हिंदू में बदलने की होगी। 

बीजेपी ने केंद्रीय और यूपी सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने वाले करीब तीन करोड़ लाभार्थियों को तलाश लिया है। बीजेपी लगातार उनसे संपर्क कर रही है। फरवरी में उनके घर-घर जाकर दीप जलाए जाएंगे। बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को उनके पीछे लगा दिया गया है, जो नियमित संपर्क कर दुख-दर्द में शामिल हो रहे हैं। इन सभी लाभार्थियों को वोटर में बदला जाएगा। 

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