एसटीएफ करेगी व्यापमं की दोबारा जांच
भोपाल
दुनियाभर में चर्चित व्यापमं घोटाले को लेकर इन दिनों प्रदेश में सियासत गर्माई हुई है।गुमनाम चिट्ठी के बाद बीजेपी-कांग्रेस फिर आमने-सामने हो गए है। इसी बीच सूत्रों के हवाले खबर आ रहा है कि कमलनाथ सरकार व्यापमं की दोबारा करवा करवाने जा रही है। सीएम कमलनाथ ने घोटाले की दोबारा जांच करने के एसटीएफ को निर्देश दिए है। हालांकि अभी इसकी औपचारिक घोषणा नही हुई है, लेकिन कहा जा रहा है कि थोड़ी इसकी घोषणा हो सकती है।
इसके पहले मंगलवार को मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने बयान दिया था कि व्यापमं घोटाले की दोबारा जांच होगी । वहीं उन्होंने दावा किया था कि तत्कालीन सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री समेत उनकी पत्नी घोटाले में शामिल हैं| मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी पर आंच न आये तो एक मंत्री को हटा दिया गया था। वहीं दिग्विजय सिंह के पत्र का जिक्र करते हुए कहा कई बच्चों का भविष्य बर्बाद हुआ है 54 लोगों की मौत हुई है। कई बेगुनाह लोग जेल में बंद है। एजेंसियों ने सही तरीके से जांच नही की है। अब जांच होगी तो कई राजनीतिक लोग और अधिकारी जेल की सलाखों के पीछे होंगे।वही मंत्री पीसी शर्मा ने कहा था सरकार व्यापमं घोटाले की जांच करेगी। तत्कालीन सरकार की ऊपर से लेकर नीचे की जड़ो का जाँच में खुलासा होगा। पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा व्यापमं घोटाले की जांच को लेकर हमारी सरकार शख्त है, कई निर्दोष इसमें फंसे है।
वहीं व्यापम की गुमनाम चिट्ठी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि चिट्ठी के आधार पर ही व्यापम मामले की जांच कराई गई थी। जैसे ही पत्र के जरिये जानकारी मिली उसी आधार पर जांच कराई गई , कई बार चिट्ठी को लेकर जानकारी दी जा चुकी है। परिवार पर लगे आरोप पर शिवराज ने कहा जो करना है सरकार करे, खुली छूट है, चिट्ठी में न उलझे सरकार जांच कराये।
व्यापम में गड़बड़ी का बड़ा खुलासा 7 जुलाई, 2013 को पहली बार पीएमटी परीक्षा के दौरान तब हुआ था, जब एक गिरोह इंदौर की अपराध जांच शाखा की गिरफ्त में आया। यह गिरोह पीएमटी परीक्षा में फर्जी विद्याíथयों को बैठाने का काम करता था। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज ने इस मामले को अगस्त, 2013 में एसटीएफ को सौंप दिया था। इस मामले पर बाद में उच्च न्यायालय संज्ञान लिया और उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूíत चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में अप्रैल, 2014 में एसआईटी गठित की गई थी, जिसकी देखरेख में एसटीएफ जांच करता रहा। 9 जुलाई, 2015 को मामला सीबीआई को सौंपने का फैसला हुआ और 15 जुलाई, 2015 से सीबीआई ने जांच शुरू की। सीबीआई जांच अब भी जारी है।