उमा भारती के सिपहसालार रहे अटल के मंत्री बने प्रहलाद पटेल

 नरसिंहपुर
बीजेपी के युवा और कद्दावर नेता. एक समय में उमा भारती के विश्वस्त और खास सिपहसालार. यहां तक कि उमा भारती के साथ बीजेपी को अलविदा कर देने वाले नेता यानि प्रहलाद पटेल. वाजपेयी सरकार में कोयला राज्य मंत्री रह चुके और इस बार फिर दमोह से सांसद चुनकर संसद पहुंचे.

राजनीति नहीं दर्शनशास्त्र के छात्र रहे प्रहलाद

प्रहलाद सिंह पटेल अभी 59 साल के हैं. लेकिन पार्टी में उनका सफर इससे कहीं ज़्यादा ऊंचा जा चुका है. वो मूलरूप से नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव के रहने वाले हैं. उनका जन्म 28 जून 1960 को गोटेगांव में ही हुआ था. स्कूली शिक्षा करने के बाद उन्होंने बीएससी, एलएलबी और फिर फिलॉसफी में एमए आदर्श विज्ञान महाविद्यालय और यू.टी.डी. रानी दुर्गावती विश्‍वविद्यालय जबलपुर (मध्‍य प्रदेश) से किया.

जुझारू और जोशीले युवा नेता

प्रहलाद पटेल ने बीजेपी के युवा संगठन भारतीय जनता युवा मोर्चा से राजनीति की शुरुआत की. वो 1982 में बीजेपी युवा मोर्चा जिलाध्‍यक्ष बनाए गए और 1986 से 90 के बीच सचिव- युवा मोर्चा, महामंत्री-मप्र. बीजेपी और फिर मोर्चा के महासचिव बने. जुझारू और जोश से भरे प्रहलाद पटेल ने 1889 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े और पहली ही बार में संसद चुन लिए गए. 1996 में ग्यारहवीं लोक सभा के लिए दोबारा चुने गए. 1999 में तीसरी बार लोकसभा के लिए चुने गए. इस दौरान वो लोकसभा की विभिन्न समितियों के सदस्य रहे. उनके राजनीतिक सफर में तब एकदम उछाल आया जब 2003 में वो अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कोयला राज्य मंत्री बनाए गए. प्रहलाद पटेल भारतीय जनता मजदूर महासंघ और भारतीय जनता मजदूर मोर्चा के भी नेता रहे.

दीदी के लिए पार्टी छोड़ी

प्रहलाद पटेल के बीजेपी में चल रहे इस सफल सफर में तब अचानक मोड़ आ गया, जब वो भी उमा भारती के साथ बीजेपी छोड़कर चले गए. उमा भारती ने बीजेपी से अलग होकर भारतीय जनशक्ति पार्टी बनायी और प्रहलाद पटेल उनके सारथी बने. हालांकि बाद में उनकी दीदी उमा भारती और वो दोनों बीजेपी में लौट आए.

रिकॉर्ड मतों से जीत

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन पर भरोसा जताया और दमोह से टिकट दिया. वो जीतकर संसद पहुंचे. इस बार फिर दमोह सीट से चुनाव लड़े और फिर से जीतकर आए. वो खुद लोधी जाति से हैं और दमोह लोधी बाहुल्य होने के कारण उन्हें इसका पूरा फायदा मिला. इस बार चुनाव की ताकत ये रही कि लोधियों के साथ कुर्मी वोट बैंक में भी ये सेंध लगाने में कामयाब रहे. पटेल ने 3 लाख 53 हज़ार 411 वोट से जीत हासिल की. प्रहलाद पटेल राजनीति के साथ सामाजिक क्षेत्र में भी सक्रिय हैं. परिवार में उनकी पत्नी पुष्पलता सिंह, एक बेटा और 2 बेटियां हैं.

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