उपचुनाव: कांग्रेस में लोकप्रिय चेहरे का संकट, नए राजनैतिक समीकरण

ग्वालियर
प्रदेश की 24 विधानसभाओं के लिए होने वाले उपचुनाव के दौरान ग्वालियर-चंबल संभाग में नए राजनैतिक समीकरण नजर आएंगे। एक तरफ भारतीय जनता पार्टी के खेमे से जहां अंचल के तीन-तीन दिग्गज नेताओं का दम लगने वाला है, वहीं कांग्रेस के सामने इस बार स्थानीय स्तर पर किसी लोकप्रिय चेहरे को प्रचार के लिए मैदान में उतारने का संकट पैदा हो गया है।

दरअसल भारतीय जनता पार्टी के पास केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर अंचल के ऐसे बड़े नेताओं में शामिल हैं जो संगठन गढ़ने और समन्वय बनाने में खास महारथ रखते हैं। साथ ही पिछले दिनों भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रुप में विष्णु दत्त शर्मा की ताजपोजी से कैडरबेस पॉलिटिकल पार्टी ‘बीजेपी’ को सियासी जमावट में डबल पॉवर मिलने का रास्ता साफ हो गया। इसी क्रम में अब कांग्रेस के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने से पार्टी को लोकप्रिय चेहरों और जनता पर पकड़ रखने वाले अंचल के बड़े नेताओं के रुप में पॉलिटिकल स्ट्रेंथ का ट्रिपल डोज मिलने की उम्मीद है।

इस बीच पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद पार्टी के पास ग्वालियर और चंबल संभाग में कोई ऐसा बड़ा नेता नहीं बचा जिसके नाम और चेहरे को चुनावों के दौरान भुनाया जा सके। माना जा रहा है कि श्री सिंधिया के पार्टी छोड़ने का खामिजाया अंचल के बाहर भी प्रदेश के कई क्षेत्रों में कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है। दरअसल ग्वालियर-चंबल में तो उन्हें कांग्रेस का पर्याय माना जाता था, ऐसे में पार्टी को तगड़ा झटका लगने से पूरा संगठन अब तक सकते में हैं।

इधर भाजपा को केन्द्रीय मंत्री श्री तोमर और प्रदेशाध्यक्ष श्री शर्मा जैसे संगठन और समन्वय के महारथियों से पहले ही खास उम्मीदें हैं। बता दें कि श्री तोमर जमीनी स्तर पर संगठन गढ़ने से लेकर प्रदेश अध्यक्ष और राष्टÑीय स्तर तक पार्टी की जिम्मेदारियों का सफलतापूर्वक निर्वाहन करते रहे हैं। वहीं केन्द्र में मोदी सरकार के दोनों कार्यकाल में वह महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आ रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने वाले नेताओं को टिकिट दिए जाने पर यदि कई असंतोष भड़कता है तो पार्टी उनकी क्षमताओं का उपयोग करेगी। इसी तरह पार्टी के नए प्रदेशाध्यक्ष वी डी शर्मा भी इसी अंचल से हैं। छात्र जीवन से ही राजनीति की पाठशाला में उतरे श्री शर्मा अखिल भारतीय विद्याथी परिषद में कई महत्पवूर्ण दायित्यों को निभाते रहे हैं और उन्हें संगठन से लेकर सियासत पर मजबूत पकड़ के लिए जाना है। इसको देखते हुए बीजेपी श्री सिंधिया और उनकी लोकप्रियता का पूरा लाभ उठाएगी।

 

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