उत्तर प्रदेश के बिजलीघरों में कोयला संकट गहराया, उत्पादन पर पड़ा असर

 अनपरा 
उत्तर प्रदेश के बिजलीघरों में कोयला संकट गहरा गया है। अनपरा-ओबरा समेत तमाम बिजलीघरों में चालू वित्तीय साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंचे कोयले के स्टाक का असर विद्युत उत्पादन पर भी पड़ने लगा है। प्रयागराज बारा बिजलीघर की दूसरी इकाई समेत कई इकाइयां जहां बंद करनी पड़ी है वहीं अन्य बिजलीघरों में कम क्षमता पर उत्पादन कर हालात सम्भालने का प्रयास किया जा रहा है। सितम्बर के दूसरे पखवाड़े से एनसीएल खदान क्षेत्र में लगातार बारिश, कोयला ट्रेड यूनियनों की हड़ताल और दुर्गापूजा व दशहरा पर्व पर अवकाश के साथ ही परिवहन के लिये रेलवे रैक न  मिलने  से कोयले की आपूर्ति का बाधित होना बिजलीघरों में कोयला किल्लत की वजह बतायी जा रही है।
 
एनटीपीसी बिजलीघरों में अब तक का न्यूनतम कोयला
एनटीपीसी के 4760 मेगावाट के विंध्याचल बिजलीघर गुरुवार तक में महज 4.33 लाख टन कोयला छ: दिन के लिये शेष है। 3000 मेगावाट के रिहन्द बिजलीघर में 1.35 लाख टन कोयला तीन दिन के लिये तथा 2000 मेगावाट के सिंगरौली बिजलीघर में 2.19 लाख टन कोयला नौ दिन के लिये ही शेष बचा है। इन बिजलीघरों में पहली अपैल को क्रमश:14.78 लाख टन कोयला 21 दिन के लिये,10.31लाख टन कोयला 23 दिन के लिये तथा 5.79 लाख टन कोयला 20 दिन के लिये मौजूद था। इन बिजलीघरों में कोयले का पहली बार क्रिटिकल स्टाक उत्पादन पर संकट बन सकता है।

उत्पादन निगम के ओबरा में एक दिन का कोयला
उत्पादन निगम के ओबरा बिजलीघर में महज एक दिन का कोयला बचा है। बिजलीघर में महज आठ हजार टन कोयला है जबकि उत्पादनरत तीन इकाइयां चलाने के लिये कम से कम दस हजार टन कोयले की दरकार है। थर्मल बैकिंग के बावजूद कई इकाइयों को कम लोड पर चलवाकर हालात से निपटा जा रहा है। प्रबंधन ने शीघ्र आपूर्ति में सुधार की सम्भावना जतायी है। अनपरा बिजलीघर में भी महज 2.78 लाख टन कोयला बचा है जो सर्वाधिक क्षमता 2630 मेगावाट वाले निगम के बिजलीघर के उत्पादन पर गम्भीर असर डाल सकता है। दोनों बिजलीघरों में पहली अपैल को क्रमश: 2.27 लाख टन और 4.85 लाख टन कोयला मौजूद था जो लगातार कम होता गया है।

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