उत्तर प्रदेश और दिल्ली में गठबंधन को सोनिया खेमा फिर सक्रिय

 
लखनऊ/दिल्ली

कांग्रेस में वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी का खेमा उत्तर प्रदेश और दिल्ली में क्षेत्रीय दलों से गठबंधन के लिए फिर सक्रिय हो गया है। इस खेमे की दलील है कि अभी सबसे बड़ी प्राथमिकता मोदी सरकार की विदाई है और इसके लिए उन राज्यों में गठबंधन का अध्याय फिर से खोला जाए जहां इसे प्राय: बंद मान लिया गया है।
 कहा जा रहा है कि गठबंधन का स्वरूप दोबारा से तय किया जा सकता है। अगर किसी राज्य में यह संभव नहीं हो पा रहा हो तो दोस्ताना मुकाबले की प्रक्रिया की तरफ बढ़ा जाए। बताया जा रहा है कि अहमद पटेल, गुलाम नबी आजाद और कई वरिष्ठ नेता इस बात के पक्षधर हैं कि एक व्यावहारिक गठबंधन किया जाए जो दोनों पक्षों को स्वीकार्य हो। खबर तो यह भी है कि यूपी को लेकर उन्होंने सपा नेताओं से फिर से नए सिरे से बातचीत शुरू भी की है। शुक्रवार को कांग्रेस के भीतर यह चर्चा काफी गर्म रही कि कांग्रेस में अधिकांश पुराने नेता यूपी में गठबंधन चाहते हैं। इनमें से कुछ नेता कांग्रेस के चुनाव प्रबंधन की टीम में भी शामिल हैं।
 यूपी में प्रभारी और टिकट वितरण की भूमिका में रह चुके नेता कहते हैं कि अधिकतम 22 से शुरू होकर 12-15 सीटों पर भी गठबंधन किया जा सकता है। इन नेताओं का कहना है कि कांग्रेस की पहली प्राथमिकता बीजेपी को यूपी में 20 सीटों से नीचे रोकने की होनी चाहिए क्योंकि उसी से नई सरकार की तस्वीर साफ होगी। इस क्रम में वरिष्ठ नेता कांग्रेस की एक दिन पहले घोषित 11 उम्मीदवारों की सूची से कुछ उम्मीदवार वापस लेने की भी बात कर रहे हैं।
 सबसे दिलचस्प कहानी दिल्ली की है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सार्वजनिक रूप से की गई यह टिप्पणी कि ‘आप’ से समझौता नहीं होगा, वरिष्ठ नेताओं को राजनीतिक रूप से उचित नहीं लगी है। वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि अगर ‘आप’ के साथ नहीं भी जाना है तो भी यह टिप्पणी दिल्ली के स्थानीय नेताओं तक ही सीमित रहनी चाहिए थी। बताया जा रहा है कि सोनिया खेमे के नेताओं ने बीजेपी को रोकने की खातिर दिल्ली में गठबंधन का अध्याय फिर से खोलने अथवा दोस्ताना मुकाबले जैसे विकल्पों पर विचार करने के लिए कहा है। इसके लिए संवैधानिक पद पर रह चुके कांग्रेस के एक पूर्व वरिष्ठ नेता ने भी राहुल गांधी को सलाह दी है।
 उनकी सलाह में सिर्फ यूपी और दिल्ली ही नहीं आंध्र प्रदेश जैसे राज्य भी शामिल हैं। सोनिया गांधी के खेमे के नेताओं की सलाह राहुल कितनी मानेंगे, इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। समझा जा रहा है कि सोमवार को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक और बुधवार को कार्यसमिति की बैठक में गठबंधन के मुद्दे पर चर्चा हो सकती है।
 

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